कर मानव विचार।
मानव रूप है ईश्वर का,
कर मानव से प्यार॥
जग में कुछ नहीं तेरा,
फिर क्यों ये तेरा-मेरा।
आखिर सांसें खोल छोड़ेगी,
छूट जाएगा ये बसेरा॥
छोड़ यहां...
आगे बढ़तीं, नहीं वह
किसी से डरतीं
सपनों को वह बुनतीं
पंख फैलाकर आसमान में,
उड़तीं भारत की बेटियां…।
अपने भारत को खुशहाल बनाती,
देश को सम्मान दिलाती
कठिनाइयों में भी...
अतीत की गहराइयों में
जिंदगी के गोपनीय चेहरों को चूम
न जाने कितने सवालों के जवाब पूछे
नश्वर शरीर के नश्वर रिश्ते
जिंदगी भी ख्वाबों के ख्यालों में
कभी...