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नमस्ते सामना

सूत्रधार

जल के बहाव संग बहता झरा पीला पात न बनो अपने आप को सम्भालो अपना आधार स्वयं बनो। औरों के बनाए पद चिन्हों में अपने पांव न फंसाओ नक्काल बन...

कर मानव से प्यार

कर मानव विचार। मानव रूप है ईश्वर का, कर मानव से प्यार॥ जग में कुछ नहीं तेरा, फिर क्यों ये तेरा-मेरा। आखिर सांसें खोल छोड़ेगी, छूट जाएगा ये बसेरा॥ छोड़ यहां...

मेहनतकश : संघर्ष से सफलता तक: डॉ. रवि रमेशचंद्र शुक्ला की प्रेरणादायक जीवन यात्रा

प्रेम यादव ‘ये फूल कोई हमको विरासत में नहीं मिले हैं, तुमने मेरा कांटों भरा विस्तर नहीं देखा।' बशीर बद्र की ये पंक्तियां डॉ. रवि रमेशचंद्र शुक्ला...

ये कभी मुमकिन नहीं

मैं किसी का दिल दुखाऊं ये कभी कहती नहीं है दिल की सदाएं जो शहरों में आग लगाएं किसी आंखों में खुशी न दे कर, किसी आंखें नम...

रात जाए या फिर सहर जाए

रात जाए या फिर सहर जाए इश्क लेकिन जरा निखर जाए तू ही दिखता है रात दिन अब तो ये नजर जब जिधर-जिधर जाए दाग दिल का छुपाए...

गूंज

क्षणभंगुर सा जीवन मानव का, हर दिन एक नया सपना बुनता, अपनों की खातिर जो शहर बसाए, मिट्टी में मिलने का डर सताये। जीना है या जाना कब...

परिंदा

मेरे शहर में एक परिंदा है, बस वही यहां पर जिंदा है। इस जमीं पर लाशें भटकती हैं, यहां आसमान बहुत शर्मिंदा है। यहां काले रंग की बारिश...

अन्याय के विरुद्ध आवाज

नारी सम्मान पर बहुत हो गई चर्चा पूरा सच धरातल पर नहीं दिखता। माना मिल गए अपनी क्षमता दिखाने के अनगिनत मंच नारी ने नहीं किया निराश स्थापित कर...

झूठ पर झूठ

सूचना के इस अंधेरे में झूठ पर झूठ, सरियाते हुए उसने कहा यह लो महाझूठ इससे ढंक दो सत्य को सदा-सदा के लिए। और फैला दो एक और झूठ यही...

खुले आसमानों में

खुले आसमानों में, ले चल हमें कहीं दूर इतना दूर, जितना दूर हो सके वहां गुजरना है, जहां खुशी मिल सके पहाड़ हो, झरने हो, और मौसमी ताजी हवा...

वो भूल क्यों नहीं जाता

वो तो भूल चुका है सब कुछ मुझको भी वो बिसर क्यूं नहीं जाता है। वादा किया था ताउम्र न मिलने का अपने वादे से वो मुकर...

उड़तीं भारत की बेटियां 

आगे बढ़तीं, नहीं वह किसी से डरतीं सपनों को वह बुनतीं पंख फैलाकर आसमान में, उड़तीं भारत की बेटियां…। अपने भारत को खुशहाल बनाती, देश को सम्मान दिलाती कठिनाइयों में भी...

गुरु नानक

गुरु नानक के शब्दों में अमृत है, जो बहा दे मन का विकार, मानस के हर कोने में भर दे, करुणा, विश्वास और प्यार। जग को सिखाया जिसने यह, कि...

जब खुद से मेरी पहचान हो

अतीत की गहराइयों में जिंदगी के गोपनीय चेहरों को चूम न जाने कितने सवालों के जवाब पूछे नश्वर शरीर के नश्वर रिश्ते जिंदगी भी ख्वाबों के ख्यालों में कभी...

बाल दिवस पर पाठकों की कविताएं

काश फिर से आ जाए वह जमाना याद आती उन गलियों की, जहां होती थी धमाल चौकड़ी। पड़ाई तो सिर्फ बहाना, नाश्ते की डिबिया पर ध्यान लगाना। काश फिर...

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