सामना संवाददाता / भायंदर
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूरे देश के पुलिस थानों में ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग वाले सीसीटीवी वैâमरे लगाने का आदेश देने के बावजूद भी आज तक महाराष्ट्र शासन व पुलिस विभाग के कान पर जूं तक नही रेंग रहा है। आदेश जारी होने के साढ़े तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य के साथ-साथ एमबीवीवी (मीरा-भायंदर, वसई-विरार) पुलिस ने आदेश पर अमल नही किया है। गौरतलब है कि इस मामले में २ दिसंबर २०२० को ही सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया है। आज तक लगभग साढ़े तीन वर्ष होने को आए लेकिन किसी भी पुलिस थाने में ऐसे सीसीटीवी वैâमरे नहीं लगाए गए हैं। मीरा-भायंदर, वसई-विरार एक स्वतंत्र आयुक्तालय होने बावजूद भी आज तक कोर्ट के आदेश पर किसी भी पुलिस थाने में आडियो सहित वीडियो रिकॉर्डिंग वाला सीसीटीवी वैâमरे लगाने की अनिवार्यता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
हो रही न्यायालय की अवमानना
इस मामले में राज्य सरकार, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पुलिस महासंचालक कार्यालय से लगातार पत्राचार कर रहे एड. कृष्णा गुप्ता ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के साढ़े तीन वर्षों के बाद भी पूरे राज्य के साथ-साथ मीरा- भायंदर, वसई-विरार आयुक्तालय क्षेत्र में कहीं भी ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी वैâमरे नहीं लगाया जाना यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना है। इस मामले में मीरा- भायंदर जोन १ के डीसीपी प्रकाश गायकवाड़ का कहना है कि मीरा भायंदर के सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी वैâमरे लगे हैं, ऑडियो, वीडियो रिकॉर्डिंग वाले सीसीटीवी उपकरण लगाने के प्रयास जारी हैं।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
२ दिसंबर २०२० को सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश नरीमन की बेंच ने अहम निर्णय लेते हुए एक आदेश दिया था कि देश के सभी पुलिस थाने में वीडियो के साथ-साथ ऑडियो रिकार्डिंग वाले सीसीटीवी वैâमरे लगाना अनिवार्य है, ताकि पुलिस एवं आम जनता के बीच हुए संवाद का रिकॉर्ड रह सके। पुलिस एवं पुलिस थाने में की गई पूछताछ या जांच-पड़ताल की रिकॉर्ड वीडियो के साथ-साथ ऑडियो के रूप में भी रिकॉर्ड हो जो उच्च क्षमता वाले रिकॉर्डिंग उपकरण हो। जिसमें १२ माह की स्टोरेज छमता होनी चाहिए।
कहां-कहां होने चाहिए उपकरण?
थाने के उन सभी जगहों पर वीडियो एवं ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले उपकरण लगे होने चाहिए जहां पुलिस अधिकारी केबिन का उपयोग करते है। इसमें वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, पुलिस निरीक्षक, एपीआई के साथ जहां कोई भी अधिकारी बैठकर जांच-पड़ताल व पूछताछ करते हैें, साथ ही थाने के मुख्य द्वार पिछले हिस्से, स्वागत कक्ष परिसर, गलियारा व बरामदा भी शामिल हैं।