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सेलेब्स स्कैडल्स : नखरेवाली…!

सखाराम बाइंडर

हीरोइनों के नाज-ओ-नखरे हमेशा से बहुत मशहूर रहे हैं और सिर्फ हीरोइन ही क्यों हीरो भी कुछ कम नहीं। कुछ ही समय पहले की बात है एक विज्ञापन कंपनी एक बहुत बड़े ब्रांड के लिए विज्ञापन बना रही थी, जिसकी शूटिंग ‘फिल्म सिटी’ में रखी गई थी और एक बड़ी नामी हीरोइन को इस ऐड वैंâपेन के लिए सिलेक्ट किया गया था। खैर, एक दिन की शूटिंग थी इसलिए हीरोइन ने बहुत भारी-भरकम रकम इस शूटिंग के लिए चार्ज किया। किसी तरह विज्ञापन कंपनी हीरोइन को भारी-भरकम रकम देने के लिए राजी हो गई और
कॉन्ट्रैक्ट साइन हो गया। कॉन्टैक्ट होते ही कंपनी द्वारा एड शूट करने के लिए ‘फिल्म सिटी’ में सेट लगाना शुरू हो गया। सेट लगने के दौरान ही हीरोइन की मैनेजर ने उस एजेंसी को फोन कर एक लिस्ट दी कि शूटिंग के दौरान मैडम क्या खाएंगी, कब खाएंगी और वैâसे खाएंगी। आपको यकीन नहीं होगा कि लिस्ट में २० च्यूइंगम का पैकेट भी लिखा हुआ था। अब ये सोचनेवाली बात है कि एक दिन की शूटिंग के लिए इतना भारी-भरकम रकम चार्ज करनेवाली हीरोइन २० च्यूइंगम भी प्रोडक्शन हाउस के पैसों से ही खाती है। अब वो च्यूइंगम खाती है या उसकी मैनेजर या उसके स्टाफ वाले खाते हैं, ये तो वही जानें। खैर, शूटिंग शुरू होने से ठीक एक रात पहले फिर फोन आया कि ‘फिल्म सिटी’ मैडम के घर से दूर है। अत: मैडम को सुबह बहुत जल्दी उठना पड़ेगा। विज्ञापन कंपनी ने यह बात भी मान ली और ‘फिल्म सिटी’ के पास एक फाइव स्टार होटल में कमरा बुक करवा दिया। सुबह प्रोडक्शन वाला हीरोइन को ले जाने के लिए फाइव स्टार होटल के बाहर आकर खड़ा हो गया, लेकिन पता चला कि हीरोइन तो रात में वहां आई ही नहीं। अब सोचिए ५० से ७० हजार रुपए किराया वाला एक रात का कमरा पूरी रात खाली रहा और हीरोइन वहां आई ही नहीं। हीरोइन के पहुंचने के बाद किसी तरह शूटिंग शुरू हुई। शूटिंग पर भी मैडम यह नहीं करेंगी, वह नहीं करेंगी करते-करते दिन ढलने लगा और शाम होने लगी। खैर, शाम के पांच बजते ही हीरोइन की मैनेजर ने हंगामा करना शुरू कर दिया कि आज हमारी मैडम का बर्थडे है और मैडम को जल्दी जाना है। यह सुनते ही विज्ञापन कंपनी के साथ ही प्रोडक्शन कंपनी भी सकते में आ गई। उन्होंने कहा कि हम इतनी जल्दी शूटिंग खत्म नहीं कर सकते, अभी तो पूरा काम पड़ा है। कम से कम ८ बजेंगे। हीरोइन की मैनेजर किसी भी सूरत में ५ बजे के बाद शूट के लिए तैयार नहीं थी और उसने कहा कि किसी भी हाल में आपको ५ बजे पैकअप करना ही पड़ेगा और हुआ भी वही, हीरोइन का ५ बजे ही पैकअप करना पड़ा। इतनी मोटी रकम लेने के बाद ठीक से काम न करनेवाली हीरोइन ५ बजते ही सेट छोड़कर अपना बर्थडे मनाने घर चली गई। हीरोइन के बाकी के शॉट्स किसी डुप्लीकेट के साथ करने पड़े, कहीं पीठ दिखाकर तो कहीं कैमरे को बैक में रखकर। तो यह हालत है आजकल के सो कॉल्ड प्रोफेशनल लोगों की। वहीं दूसरी तरफ कितने काबिल टैलेंटेड और काम करने को उत्सुक लोग सड़कों पर घूम रहे हैं और उन्हें पूछने वाला कोई भी नहीं है। यह सच है कि जो चलता है दुनिया उसी के पीछे भागती है और इस बर्बादी के जिम्मेदार वो एजेंसीज भी हैं, जो इन हीरो और हीरोइंस को मैनेज करते हैं और साथ ही वह प्रोड्यूसर, जिन्हें यही हीरो और हीरोइन चाहिए।

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