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नवजातों में लाइलाज है सेरेब्रल पाल्सी … हर साल १० लाख में ३० हजार होते हैं शिकार! 

-चिकित्सकों की संख्या भी है सीमित
-फिर भी गंभीर नहीं है चिकित्सा विभाग
सामना संवाददाता / मुंबई
सेरेब्रल पाल्सी नवजातों में होने वाली एक लाइलाज बीमारी है, जिसमें उनका विकास थम जाता है और कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, हिंदुस्थान में हर साल पैदा होनेवाले १० लाख में से ३० हजार बच्चे इस लाइलाज बीमारी के शिकार हो रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बीमारी का इलाज करने वाले पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों की संख्या भी सीमित है, जो इसे और जटिल बना रही है। इसके बावजूद केंद्र से लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग कतई गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि सेरेब्रल पाल्सी विकारों का एक समूह है, जिसमें बच्चों की बैलेंस और पोस्चर बनाने के साथ ही चलने-फिरने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। सेरेब्रल पाल्सी बचपन की सबसे आम मोटर डिजीज है। सेरेब्रल का अर्थ दिमाग से जुड़ा है। पाल्सी का अर्थ है मांसपेशियों का इस्तेमाल करने में परेशानी या कमजोरी है। सेरेब्रल पाल्सी दिमाग के असामान्य विकास की वजह से या दिमाग के विकास में रुकावट होने की वजह से होता है। इसके चलते मरीज अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल नहीं बना पाता है। चिकित्सकों के मुताबिक, डिलिवरी के समय कई बार हाय पॉक्स ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके साथ ही प्रसूता को एपिलेप्सी की शिकायत, ब्लड प्रेशर, मल्टीपल प्रेग्नेंसी समेत कई अन्य दिक्कतों से बच्चों के ब्रेन तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। इससे यह समस्या पैदा हो सकती है। चिकित्सकों का कहना है कि इसका पता तब चलता है, जब छह महीने बाद भी बच्चा बैठ अथवा चल नहीं पाता है।
डॉक्टरों की है कमी
चिकित्सक ने कहा कि सेलेब्रल पाल्सी का इलाज करने के लिए ट्रेंड डॉक्टरों की भारी कमी है। देश में एक लाख मरीजों पर महज १५० चिकित्सक ही हैं। यह संख्या बढ़ाने के लिए कई सेंटरों को शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल, हमारे क्लीनिक के माध्यम से चिकित्सकों को ट्रेंड किया जा रहा है। इसके साथ ही ट्रीटमेंट के सही तरीकों को सिखाया जा रहा है। इसके जरिए ठीक किए गए १० बच्चे डॉक्टर बन चुके हैं। इसके साथ ही कुछ आईएएस, सीए और इंजीनियर भी बने हैं।

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