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बंजी जम्पिंग पर बवाल! …सेफ्टी नेट पर सेफ जंप लगाकर चुनाव सुरक्षित करना चाहते हैं झिरवल?

-राजनैतिक हल्कों में लगा हल्की राजनीति का आरोप
सामना संवाददाता / मुंबई
मंत्रालय की इमारत में आत्महत्याओं की कोशिशों को रोकने के लिए सेफ्टी नेट लगाई गई है। उस सेफ्टी नेट पर कल सेफ जंप लगाकर शिंदे गुट के विधायक नरहरि झिरवल ने अपनी चुनावी जीत पक्की करने का जो प्रयास किया, उसकी राजनैतिक हल्कों में जमकर आलोचना हो रही है।
इस तरह की बंजी जम्पिंग अर्थात सुरक्षित छलांग से लोगों की आंखों में धूल झोंककर हल्की राजनीति करने का उन पर आरोप लग रहा है और यहां तक कहा जा रहा है कि सरकार में शामिल एक जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह का कृत्य शर्मनाक है। इससे जनता में भी गलत संदेश जाएगा। उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) में आरक्षण देने की मांग को लेकर धनगर समाज ने राज्यभर में आंदोलन शुरू किया है। घाती सरकार ने आंदोलन को सकारात्मक प्रतिसाद दिया है। इसलिए अजीत पवार गुट के आदिवासी समाज के विधायक व विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल समेत आदिवासी विधायक राजेश पाटील, हिरामण खोसकर, किरण लहामटे, काशीराम कोतकर और सांसद हेमंत सावरा नाराज है। इस मामले में झिरवल और अन्य विधायकों ने कल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की, लेकिन वह मुलाकात असफल साबित रहा।

झिरवल का प्लॉन बी, मंत्रालय में ही धरना
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को चेतावनी

झिरवल ने चेतावनी दे दी थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हमारी नहीं सुनेंगे तो हमारा प्लॉन बी तैयार है। इसके बाद घाती सरकार के पैâसले के खिलाफ और पेसा कानून के तहत भर्ती प्रक्रिया करने की मांग को लेकर झिरवल समेत आदिवासी विधायकों ने कल दोपहर करीब पौने एक बजे मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दिया। हालांकि, दूसरी मंजिल पर जाली लगे होने के कारण वे बच गए। इसके बाद भी मुख्यमंत्री से मुलाकात न होने पर उन्होंने मंत्रालय में ही धरना देना शुरू कर दिया। हालांकि, इसे लेकर राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि उनकी यह केवल स्टंटबाजी है।
गर्दन में लगी चोट, बढ़ा बीपी
विधायक नरहरि झिरवल और राजेश पाटील के साथ ही जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम के सुरक्षा जाली पर छलांग लगाने के बाद पुलिस की हवा खराब हो गई। उन्हें बाहर निकालने के लिए पुलिस को जाली पर उतरना पड़ा। इस दौरान झिरवल और अन्य लोगों ने आदिवासी समाज के समर्थन में जोरदार नारे लगाए। पुलिस ने तीनों को जाली से सुरक्षित बाहर निकाला। छलांग लगाने से झिरवल की गर्दन में चोट लग गई और उनका बीपी बढ़ गया। इसलिए उनकी जांच के लिए तुरंत डॉक्टरों की एक टीम मंत्रालय भेजी गई।
पुलिस ने जैसे ही झिरवल को जाली से बाहर निकाला, वैसे ही वे मंत्रालय में ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासी समाज के छात्रों द्वारा शुरू आंदोलन की अनदेखी कर रही है। इस वजह से हमें आंदोलन करना पड़ा है। लमहाटे ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने हम मंत्रालय में आए थे, लेकिन उन्होंने मुलाकात नहीं की। इसी के साथ ही उन्होंने जिद पकड़ लिया कि जब तक वे नहीं मिलते हैं, तब तक हम नहीं हिलेंगे। इसके बाद जाकर सीएम ने उन्हें मुलाकात के लिए बुलाया।
जनता को क्या संदेश देना चाहती है सरकार
शासन और प्रशासन से निराश और ठगी की शिकार आम जनता मंत्रालय में आकर जाली पर छलांग मारती है। उसका मकसद यही रहता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है, जिसे वह सरकार की निगाहों में लाना चाहती है, लेकिन यही सरकार मंत्रालय में कार्यरत पुलिसवालों को बोलकर उन्हें गिरफ्तार कराती है। इसके बाद उसे मरीन लाइंस पुलिस थाने में ले जाया जाता है, जहां बाकायदा एफआईआर दर्ज किया जाता है। लेकिन आज आदिवासी विधायक उन पर हो रहे अन्याय की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मंत्रालय की जाली पर उतरे। आंदोलन का तरीका समान था। ऐसे में क्या सरकार और पुलिस इन विधायकों के खिलाफ मामला दर्ज करेगी, अथवा विधायक होने के नाते उन्हें माफ कर दिया जाएगा। इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। हालांकि, नागरिकों का कहना है कि राज्य में आम जनता और विधायकों को अलग-अलग न्याय दिया जा रहा है। इससे सरकार जनता को क्या संदेश देना चाहती है।

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