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स्वास्थ्य सेवकों के रडार पर होंगे चैरिटी अस्पताल! …दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल की घटना के बाद जागी सरकार

सामना संवाददाता / मुंबई
१० लाख रुपए के लिए प्रसव न करने पर पुणे के चैरिटी दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में प्रसूता की हुई मौत ने धर्मार्थ अस्पतालों के कामकाज की पोल खोलकर रख दी। इतना ही नहीं, इस घटना ने महायुति सरकार को भी चेताया है। इसी के चलते अब राज्य के सभी चैरिटी अस्पतालों की निगरानी के लिए १८६ स्वास्थ्य सेवकों की नियुक्ति की जाएगी, जिनकी जल्द ही भर्ती शुरू होगी।
उल्लेखनीय है कि गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को मुफ्त इलाज मिल सके, इस उद्देश्य से राज्य में धर्मार्थ अस्पतालों को मान्यता दी गई है। इसके लिए हर अस्पताल में चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता की नियुक्ति की व्यवस्था है, लेकिन चूंकि ये कार्यकर्ता अस्पतालों द्वारा ही नियुक्त होते हैं। इसलिए वे मरीजों की मदद करने की बजाय अस्पताल के हितों को प्राथमिकता देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह भी देखा गया है कि चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता मरीजों के परिजनों को धर्मार्थ योजना की जानकारी नहीं देते, अनावश्यक दस्तावेजों की मांग करते हैं और योजना के अंतर्गत इलाज से बचते हैं। इस कारण अब राज्य के सभी चैरिटी अस्पतालों की निगरानी के लिए १८६ स्वास्थ्य सेवकों की नियुक्ति की जाएगी।

अन्य अस्पतालों में भी गड़बड़ियां
विधि व न्याय विभाग के आदेशानुसार धर्मार्थ अस्पतालों की जांच के लिए आठ सदस्यों की एक टीम बनाई गई थी। इस टीम ने जब पुणे के जहांगीर अस्पताल का दौरा किया तो वहां के जनसंपर्क अधिकारी फडके, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता के काम में हस्तक्षेप करते पाए गए। इस कारण गरीब मरीजों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जिसके बाद फडके को बर्खास्त कर दिया गया। आदित्य बिर्ला अस्पताल ने जांच में सहयोग नहीं किया, जिस पर अपराध दर्ज किया गया। संचेती अस्पताल ने स्वाती मालवणकर नामक गरीब मरीज से ६ लाख १७ हजार रुपए लिए, जो बाद में लौटा दिए गए। यह पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई है।

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