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मीडिया रिपोर्टों के तथ्य की करो जांच! … मुख्यमंत्री फडणवीस का फरमान …उपसचिव स्तर का अधिकारी सभी विभागों में होगा नियुक्त

-सरकार की छवि को लेकर परेशान हैं मुख्यमंत्री
सामना संवादाता / मुंबई
राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक द्वारा शुक्रवार को जारी एक परिपत्र के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने मीडिया रिपोर्टों के तथ्यों की जांच करने और जितनी जल्दी हो सके, भ्रामक पाए जाने पर जवाब देने का पैâसला किया गया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के फरमान के बाद लिया गया, जो अपनी और अपनी सरकार की छवि को लेकर काफी सतर्क दिखाई दे रहे हैं। परिपत्र के अनुसार, सभी राज्य विभागों में संयुक्त सचिव या उप सचिव स्तर के अधिकारियों को उसी दिन खबरों के बारे में स्पष्टीकरण या तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ मीडिया हाउसों को जवाब देने का काम सौंपा जाएगा।

भ्रामक खबरों पर स्पष्टीकरण देगी सरकार
यदि किसी समाचार चैनल की रिपोर्ट भ्रामक पाई जाती है, तो सेल एक क्लिप बनाएगा और उसे सचिवों के एक समूह को भेजेगा। परिपत्र में कहा गया है कि खबर की गंभीरता के आधार पर, संबंधित विभाग से फीडबैक के साथ एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने और उसे डीजीआईपीआर को वापस भेजने की अपेक्षा की जाती है। डीजीआईपीआर उसी दिन अपनी वेबसाइट पर ‘तथ्यात्मक जानकारी’ अपलोड करेगा और स्पष्टीकरण के रूप में संबंधित मीडिया हाउस को भी भेजेगा।

कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य का है अनुसरण
सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय को उन समाचार को इकट्ठा करने के लिए कहा गया है जिन्हें स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य विभागों को भेजें। ऐसा करके महाराष्ट्र कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों का अनुसरण कर रहा है, जिन्होंने राज्य सरकार से संबंधित गलत सूचनाओं को दूर करने के लिए २०२३ में तथ्य-जांच इकाइयां स्थापित की हैं। केंद्र सरकार के पास भी प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के तहत एक तथ्य-जांच इकाई है, जिसे २०१९ में स्थापित किया गया था। इसी तरह, महाराष्ट्र सरकार ने ५ मार्च को डीजीआईपीआर के तहत एक सेल का गठन किया, जिसे प्रिंट और प्रसारण मीडिया में सरकार के बारे में सभी समाचार रिपोर्टों का विश्लेषण करने और उन पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था। यदि रिपोर्ट भ्रामक या नकारात्मक पाई जाती है, तो सेल को तुरंत स्पष्टीकरण जारी करना होगा। इसे संभव बनाने के लिए राज्य सरकार ने अपने सभी विभागों में संयुक्त सचिव या उप सचिव के पद से नीचे का अधिकारी नियुक्त करने का फैसला किया है।

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