सामना संवाददाता /मुंबई
शहर में इस साल चिकनगुनिया के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जनवरी से अक्टूबर के बीच ५७८ संक्रमण दर्ज किए गए, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे ज्यादा हैं। इस बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है, जो इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए त्वरित उपायों की मांग कर रहे हैं। बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार, २०२२ में केवल १८ मामले दर्ज किए गए थे और वर्ष २०२३ में यह संख्या बढ़कर २५० हो गई। लेकिन इस बार २०२४ में अक्टूबर तक यह आंकड़ा ५७८ तक पहुंच गया। जो बहुत ही भयानक स्थिति होने का संकेत दे रहा है।
सायन अस्पताल के डीन, डॉ. मोहन जोशी ने कहा कि चिकनगुनिया के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है क्योंकि मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं। चिंताजनक बात यह है कि कई मरीज गंभीर लक्षणों के साथ आ रहे हैं, जैसे कि असहनीय जोड़ों का दर्द, बुखार और मांसपेशियों में दर्द। इनमें से कई को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी है। उन्होंने कहा कि चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो एडीज मच्छरों के जरिए फैलती है, जो दिन के समय सक्रिय रहते हैं। सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते और थकान शामिल हैं। गंभीर मामलों में, जोड़ों का दर्द महीनों तक बना रह सकता है।
बता दें इस साल की विशेषताएं, लंबे मानसून ने समस्या बढ़ाई है। निर्माण स्थलों और खुले स्थानों में रुका हुआ पानी मच्छरों के प्रजनन का मुख्य कारण है। डॉक्टरों के अनुसार, इस साल चिकनगुनिया से ठीक होने की प्रक्रिया धीमी रही है। युवा मरीज आमतौर पर १०-१२ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन वयस्कों और बुजुर्गों में लक्षण दो महीने तक बने रह सकते हैं।
मनपा के अनुसार निर्माण स्थल बड़ी समस्या बने हुए हैं। इन जगहों पर रुका हुआ पानी मच्छरों के लिए आदर्श स्थिति बना रहा है। ठेकेदारों और निवासियों को स्वच्छता बनाए रखने और मच्छरों के प्रजनन को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।