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बाल अपराधी को स्कूल में साफ सफाई करने की सजा

सामना संवाददाता / झुंझुनू

राजस्थान के झुंझुनू जुवेनाइल कोर्ट (बाल न्यायालय) ने एक बालक को एक साल तक सरकारी स्कूल में सफाई करने की अनोखी सजा सुनाई। जज ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया- आपको एक साल तक सरकारी प्राइमरी स्कूल में कार्य दिवसों (सोमवार से शनिवार) के दौरान सुबह-शाम दो-दो घंटे साफ-सफाई का काम करना होगा।

सेशन न्यायाधीश झुंझुनू दीपा गुर्जर ने बालक को मारपीट कर चोट पहुंचाने और बोलेरो कार में तोड़फोड़ करने का दोषी पाया। मारपीट में एक युवक की मौत हो गई थी। आदेश में उन्होंने लिखा कि स्कूल में सफाई जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) प्रारंभिक के निर्देशन और देखरेख में की जाएगी। डीईओ प्रारंभिक बालक के निवास स्थान के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित संचालित राजकीय प्राथमिक स्कूल में सामुदायिक सेवा कराना सुनिश्चित करेंगे। इसकी पूरी पालन रिपोर्ट हर तीन महीने से डीईओ प्रारंभिक व परिवीक्षा अधिकारी को न्यायालय में पेश करनी होगी।

घटना 14 अगस्त 2019 को हुई थी। परिवादी मोतीराम मीणा ने जिले के उदयपुरवाटी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मोतीराम ने रिपोर्ट में बताया था कि मेरा बेटा सचिन अपने दोस्तों राहुल, सुमित, विकास, नरेंद्र और सुभाष के साथ कोट बांध घूमने गया था। वहां पर उन्होंने ठेले से पकौड़ी खरीदी। दुकानदार ने गर्म पकौड़ी देने की बजाय ठंडी पकौड़ी दी। सचिन और उसके दोस्तों ने इसका विरोध किया तो दुकानदार रामावतार के साथ पिंटू, रतन व बालक ने बेटे और उसके दोस्तों के साथ झर, कूंचा, लाठी व पत्थरों से मारपीट की। हमले में सचिन को गंभीर चोट आई। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद सचिन के दोस्त उसे गाड़ी में अस्पताल लेकर जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में एक आरोपी फूला व उसके 8-10 साथियों ने फिर से हमला कर बोलेरो के शीशे तोड़ दिए। बाद में वे उदयपुरवाटी अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने सचिन को मृत घोषित कर दिया था।

पुलिस ने मामला दर्ज कर बालक के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ संबंधित न्यायालय में चालान पेश कर दिया। बालक के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में आरोप पत्र पेश किया गया। जहां से पहले यह मामला विशेष न्यायालय, पॉक्सो न्यायालय झुंझुनू और फिर वहां से उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बाल न्यायालय में चला गया। इस पर न्यायालय ने निर्णय देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 24 के तहत बालक किसी निरर्हता से ग्रस्त नही होगा। जो विधि के अधीन दोषसिद्धि से सलंग्न हो तथा बालक के नौकरी, पासपोर्ट या अन्य किसी प्रकार से यह निर्णय बालक को प्रभावित नहीं करेगा।

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