सामना संवाददाता / नई दिल्ली
२०२० में कोरोना महामारी ने समूची दुनिया को डरा दिया था। सभी जगह रोते-बिलखते मायूस चेहरे, ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ती जिंदगियों ने कई परिवारों को सदमा दिया था। लेकिन इसके विपरीत ये साल कइयों के लिए बड़ी खुशखबरी भी लाया। इस दौरान कइयों के घर किलकारियां भी गूंजी थीं।
अब इन बच्चों से जुड़ी एक बेहद ही रोमांचित करनेवाली खबर सामने आई है। एक रिसर्च में ये कहा गया है कि जो बच्चे लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए उनकी इम्युनिटी बाकी बच्चों के मुकाबले काफी अच्छी पाई गई है और वो बच्चे कम बीमार पड़ रहे हैं। इस रिसर्च में कहा गया है कि लॉकडाउन में पैदा हुए बच्चों का इम्यून सिस्टम पहले और बाद में पैदा हुए बच्चों से बेहतर है। ये जानकारी आयरलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में की गई एक रिसर्च में सामने आई है। रिसर्च में पता चला है कि लॉकडाउन में पैदा हुए बच्चों के पेट में जो माइक्रोबायोम है वह इससे पहले पैदा हुए बच्चों की तुलना में कम एलर्जी वाला है। कोविड में पैदा हुए बच्चों में केवल ५ फीसदी एलर्जी संबंधी बीमारी पाई गई है। अन्य बच्चों में यह इससे ज्यादा है। इसको लेकर वो माता-पिता बेहद खुश हैं, जिनके बच्चे लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए हैं।
बता दें कि बच्चों की बेहतर इम्युनिटी के पीछे सबसे बड़ी वजह साफ वातावरण है। इस दौरान पूरी दुनिया थम-सी गई थी, प्रदूषण न के बराबर था, लोगों ने बाहर के खाने की बजाय घर का साफ-सुथरा खाना खाया। प्रेग्नेंट महिलाएं पूरे समय साफ-सुथरे वातावरण में रहीं। जिनसे मांओं के साथ-साथ पर्यावरण ने भी बच्चों को नेचुरल एंटीबायोटिक गुण दिए। लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण में प्रदूषण कम होने से बच्चों में संक्रमण का खतरा कम हो गया क्योंकि इस दौरान वो किसी भी तरह के बैक्टीरिया और किटाणुएओं के संपर्क में नहीं आ पाए।
क्यों अच्छी हुई इम्युनिटी
इस पर डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था काल प्रेग्नेंट मां और बच्चों के लिए बेहद ही अहम समय होता है, इस दौरान मां जैसा खाती है, जिस वातावरण में रहती है उसका सीधा असर बच्चे की सेहत पर देखने को मिलता है। इसलिए लॉकडाउन के दौरान साफ वातावरण और घर के पौष्टिक खाने का असर बच्चों की बेहतर इम्युनिटी के तौर पर देखने को मिल रहा है।