भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन इसके बावजूद चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। ताजा जानकारी के मुताबिक, चीन लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट के पास नई बस्तियों का निर्माण कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से इस गतिविधियों का खुलासा हुआ है, जिसमें बस्तियों को तेजी से आकार लेते हुए देखा जा सकता है। इन बस्तियों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिससे भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताएं खड़ी हो गई हैं। ९ अक्टूबर २०२४ को अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा वैâप्चर की गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट पर लगभग १७ हेक्टेयर क्षेत्र में बस्तियों का निर्माण कर रहा है। यह इलाका भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच २०२० के गतिरोध बिंदु से लगभग ३८ किलोमीटर पूर्व में स्थित है। हालांकि, यह भारत के क्षेत्रीय दावों से बाहर है।
तस्वीरों में देखा गया है कि इस क्षेत्र में एक से दो मंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, जिनका उपयोग भविष्य में सैन्य और नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, हेलिकॉप्टर ऑपरेशनों के लिए एक १५० मीटर लंबी हेलीपैड जैसी संरचना भी देखी गई है, जो इस क्षेत्र की रणनीतिक महत्ता को और बढ़ाती है। चीन का यह कदम न सिर्फ सीमा पर तनाव को बढ़ाने वाला है, बल्कि इससे उसकी रणनीतिक क्षमता भी मजबूत होती दिख रही है। तक्षशिला संस्थान के जियो पॉलिटिकल रिसर्च प्रोग्राम के प्रमुख वाई निथ्यानंदम के अनुसार, `इस बस्ती में १०० से अधिक इमारतें बनाई जा रही हैं, जिनमें आवासीय संरचनाएं, बड़ी प्रशासनिक इमारतें और खुले स्थान शामिल हैं। ये बस्तियां चीनी सेना के एड-हॉक फॉरवर्ड बेस के रूप में भी काम कर सकती हैं, जिससे उनकी प्रतिक्रिया क्षमता में तेजी आ सकती है।’ सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि झील की ओर ढलान वाले इलाके में यह निर्माण अप्रैल २०२४ में शुरू हुआ था। इस क्षेत्र में ऊंची चोटियों के पीछे बस्ती का निर्माण किया जा रहा है, जिससे यह भूमि आधारित निगरानी उपकरणों से छिपा रहता है।