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भारत के खिलाफ चीन की विनाशकारी रणनीति!…चुपचाप कर रहा खेल, सुगबुगाहट तक नहीं अब औद्योगिक युद्ध के जरिए घेरने का प्रयास

सामना संवाददाता / नई दिल्‍ली

चीन, भारत को ग्‍लोबल मैन्‍यूपैâक्‍चरिंग मार्वेâट से बाहर रखने के लिए शांत, लेकिन विनाशकारी रणनीति अपना रहा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और लोकप्रिय इन्फ्लुएंसर विवेक खत्री ने इस स्‍टैटेजी के बारे में समझाया है। खत्री के अनुसार, भारत शिखर सम्मेलन आयोजित करने और नीति दस्तावेज बनाने में लगा है, वहीं चीन चुपचाप ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन को फिर से परिभाषित कर रहा है। यह एक तरह का औद्योगिक युद्ध है जो धीरे-धीरे चल रहा है। चीन इसमें भारत से तीन कदम आगे है।
चीन अपने ट्रेड सरप्‍लस यानी व्यापार अधिशेष का इस्‍तेमाल भू-राजनीतिक उपकरण के रूप में कर रहा है। ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत चीन अन्य देशों में निवेश कर रहा है, लेकिन भारत को जानबूझकर बाहर रखा जा रहा है। खत्री का कहना है कि चीन, भारत को महत्वपूर्ण औद्योगिक इनपुट से वंचित कर रहा है। साथ ही भारत के मैन्‍यूपैâक्‍चरिंग पावर बनने के प्रयासों को विफल करने में जुटा है। हालांकि, भारत के पास अभी भी मौका है। अगर वह लालफीताशाही को कम करे, व्यापार समझौतों को तेजी से पूरा करे, औद्योगिक क्लस्टर बनाए और बुनियादी ढांचे को मजबूत करे तो वह चीन के प्‍लान पर पानी फेर सकता है।
चुपचाप भारत को हराने में जुटा
विवेक खत्री ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म ‘एक्‍स’ पर लिखा, कोई शोर नहीं, कोई खबर नहीं, बस शांत औद्योगिक शतरंज। उनका मानना है कि चीन, भारत को ग्‍लोबल मैन्‍यूपैâक्‍चरिंग मार्वेâट से बाहर रखने के लिए विनाशकारी रणनीति अपना रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत सम्मेलनों और नीतियों में व्यस्त है। जबकि चीन चुपचाप दुनियाभर में सप्लाई चेन को बदल रहा है। यह सब शांति से और बिना किसी लड़ाई के हो रहा है। चीन पहले से ही भारत से तीन कदम आगे है।
ये आंकड़े खोल देंगे आंखें
आंकड़े बताते हैं कि वियतनाम १२६ अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात करता है, जबकि भारत सिर्फ २६ अरब डॉलर का निर्यात करता है। जापानी और ताइवानी कंपनियां भी भारत से पीछे हट रही हैं। भारत में निवेश करने की इच्छा रखनेवाली दस में से सिर्फ एक जापानी कंपनी ही वास्तव में निवेश करती है। इसकी वजह नियमों की जटिलता, लालफीताशाही और काम पूरा होने की अनिश्चितता है। चीन मोरक्को से मेक्सिको तक औद्योगिक कॉरिडोर बना रहा है। दुनिया को अपने फायदे के लिए बदल रहा है, ताकि भारत को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
दूसरे देशों में कर रहा है निवेश
चीन का भारी व्यापार अधिशेष सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह एक भू-राजनीतिक हथियार है। चाइना प्लस वन रणनीति के तहत कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को अलग-अलग देशों में पैâला रही हैं। चीन इसका विरोध नहीं कर रहा है। इसके बजाय, चीन हंगरी, मेक्सिको, मोरक्को, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों में निवेश कर रहा है। ये देश चीन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वे चीन से प्रतिस्पर्धा नहीं करते। बदले में उन्हें चीन से भारी निवेश मिल रहा है। भारत को जानबूझकर इस रणनीति से बाहर रखा जा रहा है। उनका कहना है कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो चीन की तरह मैन्‍यूपैâक्‍चरिंग में आगे बढ़ सकता है।

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