गोवंडी
घाती सरकार ने जहां मुंबई शहर व उपनगर में सौंदर्यीकरण के लिए कई करोड़ रुपए खर्च किए हैं, वहीं पूर्वी उपनगर गोवंडी का आदर्शनगर एक ऐसा इलाका है जहां लोग पिछले दो वर्षों से पक्की सड़क के इंतजार में हैं। पिछले वर्ष २०२३ में सीवर लाइन के कार्य हेतु इस क्षेत्र की सड़क को खोदा गया था। सीवर लाइन बिछ जाने के बाद ठेकेदार मिट्टी से गड्ढों को पाटकर गायब हो गए। कई शिकायतों के बावजूद अभी तक यहां सड़क निर्माण कार्य नहीं हो सका है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर अब्दुल गफ्फार शेख इस समस्या को प्रकाश में लाए हैं।
अब्दुल गफ्फार शेख ने बताया कि पिछले वर्ष २०२२ से लेकर २०२३ तक इस रास्ते पर सीवर लाइन बिछाने का काम मेसर्स फोर्स कंस्ट्रक्शन कंपनी ने किया था। मार्च २०२३ में लाइन बिछाने का काम पूरा होने के बाद स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया गया कि जल्द ही इस रास्ते को नए तरीके से बनाया जाएगा, लेकिन काम पूरा होने के बाद से अब तक मेसर्स फोर्स कंस्ट्रक्शन कंपनी का कोई आदमी नहीं आया और न ही संबंधित विभाग के अधिकारियों का कोई पता है।
एक स्थानीय समाजसेवक होने के नाते लोगों की इस परेशानी को लेकर मनपा के संबंधित विभाग से कई बार पत्र व्यवहार करने के साथ ही विभाग अधिकारी-सहायक अभियंता रेणुका शिंदे व दुय्यम अभियंता पारटे से भी मुलाकात की, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। उन्होंने आगे बताया कि रोड नंबर १० से लेकर रोड नंबर १५ तक को जोड़ने वाला यह एक अकेला रास्ता है, जहां से रोजाना लाखों लोगों का गुजरना होता है। रास्ता इतना खस्ताहाल है कि कई बार बुजुर्ग, बच्चे एवं महिलाएं खुद को न संभाल पाने के कारण गिर जाते हैं, जिससे वो जख्मी हो जाते हैं। इस रोड के पास ज्ञान साधना मराठी विद्यालय होने की वजह से छोटे-छोटे विद्यार्थियों का भी यहां पर आना-जाना होता है। लाखों की आबादी वाले इस क्षेत्र को जोड़ने वाले इस रास्ते से दुपहिया वाहनों के साथ ही बड़े वाहनों तक का गुजरना होता है। सड़क के खस्ताहाल होने की वजह से अक्सर दुपहिया वाहन चालक अपना नियंत्रण खोकर हादसे का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय सपा की पूर्व नगरसेविका रुखसाना नाजिम सिद्दीकी ने भी इस रास्ते के पुनर्निर्माण के लिए कई बार मनपा अधिकारियों से मिलकर उनको लिखित शिकायत दी है, इसके बावजूद अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। खास बात तो यह है कि इस खस्ताहाल रास्ते का इस्तेमाल खुद मनपा एम/पूर्व विभाग कार्यालय के अधिकारी करते हैं। इसके बावजूद यह रास्ता अपनी बदहाली पर खुद रो रहा है। संबंधित विभाग के अधिकारियों की इस खामोशी से साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं ठेकेदारों की मिली-भगत से यह भ्रष्टाचार हो रहा है।