बदलापुर
बदलापुर के नगरसेवकों का कार्यकाल मई २०२० से समाप्त हुआ है। उसके बाद से तकरीबन ढाई वर्षों तक कोरोना का कहर रहा, जिससे लोग परेशान थे। कोरोना का कहर कमजोर पड़ने के बाद बदलापुरकरों को पता चला कि नगरसेवकों की अनुपस्थिति में शहर का कामकाज प्रशासक देख रहे हैं। आज बदलापुर की स्थिति बेलगाम सी हो गई है। प्रशासकों की अनदेखी के कारण बदलापुर में कुत्तों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। कुत्तों की बढ़ती संख्या के कारण देर रात लोगों का चलना-फिरना या घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। बदलापुर की सड़कों पर कुत्ते झुंड में दिखाई देते हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर अजय त्रिपाठी ने बदलापुर में कुत्तों से लोगों को होनेवाली परेशानी को बयां किया है।
अजय त्रिपाठी का कहना है कि बदलापुर में कुत्तों के चलते लोगों का सड़कों पर चलना दुश्वार हो गया है। इतना ही नहीं मासूम बच्चों का खेलना-कूदना तक मुश्किल हो गया है। सार्वजनिक सड़क से लेकर खेल-कूद के मैदान को कुत्तों ने अपना बसेरा बना लिया है। कुत्ते सोसायटी में रखी गई कचरा कुंडियों में रखे कचरे को नीचे गिराने के साथ ही हर तरफ बिखेर देते हैं। कुत्तों की इस हरकत के चलते सोसायटी वाले अक्सर परेशान रहते हैं। आवारा कुत्ते सोसायटी में रखे सामान को भी नुकसान पहुंचाते हैं। कुत्तों की संख्या बढ़ने का कारण बदलापुर नपा द्वारा कुत्तों की नसबंदी न करना बताया जाता है। कुत्तों के काटने पर रैबीज का महंगा इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। रैबीज के इन महंगे इंजेक्शनों के चलते नपा का बजट बिगड़ जाता है। अभी हाल ही में बदलापुर (पश्चिम) में बेरेज रोड परिसर में एक आवारा कुत्ते ने दर्जनों लोगों को काटा था। रोजाना तकरीबन सौ लोगों को कुत्ते काटने के मामले सामने आते हैं, जिस पर करीबन लाखों रुपए रैबीज इंजेक्शन पर खर्च होते हैं। वैसे तो बदलापुर में ऐसे काफी लोग हैं जो देर रात को कुत्तों को खाना खिलाते हैं।
बदलापुर नपा प्रशासन से अजय त्रिपाठी का सवाल है कि शहर में बढ़ते आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए पशु मंत्रालय क्या कदम उठा रहा है? पशु मंत्रालय या फिर महाराष्ट्र शासन को चाहिए कि बदलापुर के कुत्तों के लिए श्वान घर का निर्माण कर उसमें आवारा कुत्तों की परवरिश की जाए। क्या सरकार की यह ड्यूटी नहीं है कि जिस प्रकार कुत्तों की हत्या पर रोक लगाई गई, उसी प्रकार उन्हें रखने की भी व्यवस्था की जाए।
स्वास्थ्य अधिकारी प्रियंका कदम का कहना है कि सफाई निरंतर हो रही है। कुत्तों पर अंकुश लगाने के लिए नसबंदी व रैबीज इंजेक्शन लगाने का अभियान शुरू किया गया है। पनवेल हाईवे पर कुत्तों की संख्या कम करने के लिए शुरू प्रक्रिया के तहत श्रीमती कदम ने बताया कि बदलापुर शहर में १,७०० कुत्तों की जनसंख्या है। ये जानकारी २०१९ में किए गए जानवरों के सर्वे से पता चली है। इस वर्ष ६०० के करीब कुत्तों की नसबंदी व रैबीज इंजेक्शन लगाया गया है। बच्चों तथा गर्भवती कुतियों को छोड़कर अन्य सामान्य कुत्तों की नसबंदी की जाती है। इस कारण आवारा कुत्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। १,९५० रुपए प्रति कुत्तों पर खर्च किया जाता है। कोरोना से पूर्व ९५ कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है।