मुलुंड
मुलुंड रेलवे स्टेशन के पश्चिमी प्रवेश द्वार पर फेरीवालों के जमावड़े के चलते रेल यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विशेषकर शाम के समय पीक ऑवर में पूरे गेट पर उनका ही कब्जा रहता है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर मंदार आगस्कर ने इस विषय को प्रकाश में लाया है।
नशे में होते हैं दुकानदार
मंदार आगस्कर ने बताया कि पुलिस व रेल प्रशासन की मेहरबानी से कुछ फेरीवालों ने यात्रियों के आवागमन की जगह पर अपनी दुकानें लगा रखी हैं। शाम के समय ये दुकानदार अक्सर नशे में होते हैं, जिससे यात्री डरे रहते हैं। इस अवैध कब्जा से आने-जाने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यात्रियों के आवागमन के लिए रेलवे ने पश्चिमी द्वार की कुछ दुकानों पर तोड़क कार्रवाई भी की थी, लेकिन उन दुकानदारों को हटाने के बाद अब फेरीवालों ने पूरे गेट पर कब्जा जमा लिया है।
विरोध करने पर करते हैं मारपीट
शाम होते ही भीड़ के वक्त इनकी दादागीरी जोरों पर होती है। यदि कोई यात्री इनका विरोध करता है तो ये फेरीवाले हाथापाई करने को तैयार हो जाते हैं। इनका समूह होने के कारण यात्री भी मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते हैं। अगर इनमें से कोई यात्री रेलवे प्रशासन से इसकी शिकायत भी करता है तो रेलवे दिखावे की कार्रवाई करती है। कार्रवाई सिर्फ उस यात्री के जाने तक रहती है उसके बाद फिर स्थिति वैसी हो जाती है।
कार्रवाई के बाद भी नहीं मान रहे फेरीवाले
मुलुंड के पश्चिम की तरफ तीन प्रवेश द्वार हैं, जिसमें सबसे बड़ी समस्या मुख्य द्वार जो कि पीछे की तरफ है। रेल अधिकारियों के द्वारा जब कार्रवाई की जाती है तो ये निकलकर सड़कों पर आ जाते हैं और जब मनपा कार्रवाई करती है तो ये फेरीवाले रेलवे परिसर में घुस जाते हैं। अगर रेलवे व मनपा संयुक्त कार्रवाई करें तो इन फेरीवालों पर लगाम लगाई जा सकती है। अगर वाकई में रेलवे यात्रियों के आवागमन को सुगम बनाना चाहती है तो उसे मनपा से मिलकर संयुक्त कार्रवाई करनी पड़ेगी।
क्या कर रही है रेलवे पुलिस?
यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने ठाणे दिशा की तरफ कई दुकानों को तोड़कर रास्ते को सुगम बनाने का प्रयास किया है, लेकिन इन अवैध फेरीवालों के कारण स्थिति जस की तस है। पूर्व हो या पश्चिम दोनों ही प्रवेश द्वार पर इन फेरीवालों ने कब्जा जमाया हुआ है। कुछ स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, इन फेरीवालों का एक लीडर होता है, जो पुलिस, मनपा व रेल अधिकारियों को मैनेज करके इन फेरीवालों को जगह उपलब्ध कराता है व एक स्टॉल लगाने पर ५०० से १,००० रुपए प्रतिदिन का किराया भी लेता है। क्या इन अधिकारियों को ये फेरीवाले नजर नहीं आते? स्टेशन परिसर में अवैध कब्जा हटाने की जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल के लोगों की है पर अक्सर ये इन फेरीवालों के साथ चाय की चुस्कियां लेते नजर आते हैं।