उल्हासनगर
उल्हासनगर में भले ही शिंदे सरकार अपने आपको विकास पुरुष बताने का दावा कर रही है, लेकिन उल्हासनगर शहर का किसी ईमानदार एजेंसी के मार्फत सर्वेक्षण कराया जाए तो उल्हासनगर सबसे पिछड़ी मनपा साबित होगी। इस शहर पर बजट भले ही मोटा खर्च किया गया हो, परंतु विकास घटिया है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर रमेश वामने ने उल्हासनगर के विकास को घटिया विकास बताया है।
रमेश वामने ने बताया कि उल्हासनगर का विकास देखना है तो कल्याण-बदलापुर महामार्ग जो सौ फुट का है, परंतु उल्हासनगर में पार्विंâग की सुविधा नहीं है। इसके साथ ही आधी सड़क पर वाहनों को खड़ा किया जाता है, जिसके कारण अन्य वाहनों की आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
उल्हासनगर मनपा का पथ अतिक्रमण निर्मूलन विभाग, प्रभाग समिति पथक के अलावा यातायात पुलिस का संयुक्त अभियान फेल साबित हो रहा है। कभी-कभी तो दिखावटी कार्रवाई की जाती है। इस कार्रवाई का असर घंटे दो घंटे भी दिखाई नहीं देता है। कुछ स्पेयर पार्ट विक्रेताओं ने अपनी दुकान के सामने वाहन मरम्मत की दुकान खोल रखी है। महामार्ग के दोनों तरफ सड़क पर मिट्टी दिखाई दे रही है। उल्हासनगर को सांसद, विधायक, शिंदे सरकार अन्य विभागों के माध्यम से काफी बजट दिया गया। ऐसी घोषणा तो की गई, परंतु उल्हासनगर का विकास साबित कर रहा है कि घोषणाएं झूठी हैं। उल्हासनगर के विकास को लेकर शहर का हर तबका परेशान है। उल्हासनगर की दुर्दशा के लिए मनपा के वरिष्ठ अधिकारी तथा शहर के लोकप्रतिनिधि बड़े पैमाने पर जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं। उल्हासनगर की सड़क उस दिन साफ दिखाई देती है, जिस दिन शहर में किसी न किसी मंत्री या सांसद का दौरा होता है। उल्हासनगर के विधायक को तो मनपा और शहर की जनता कुछ भी नहीं समझती है। विधायक को अधिकारी अपना दोस्त समझते हुए नियम की ऐसी की तैसी करते हैं। विधायक बेचारा बस देखता रह जाता है। विकास के नाम पर उल्हासनगर केवल मजाक बनकर रह गया है।