मीरा-भायंदर
मीरा-भायंदर में डंपिंग ग्राउंड की समस्या दिनों-दिन विकराल होती जा रही है। इस समस्या को निपटाने में स्थानीय नेता सहित मनपा प्रशासन भी फेल होता नजर आ रहा है। मालूम हो कि भायंदर (प.) के उत्तन स्थित डंपिंग ग्राउंड में मीरा-भायंदर शहर का कचरा डंप किया जाता है। यहां मीरा-भायंदर मनपा ने घनकचरा प्रकल्प लगा रखा है, जहां कचरे का निस्तारण किया जाता है। पिछले कुछ महीनों से कचरा निस्तारण बंद हो गया है, जिससे करीब आठ लाख मीट्रिक टन कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है। ‘दोपहर का सामना’ की सिटीजन रिपोर्टर शर्मिला बगाजी विन्सट ने इस समस्या को बयां किया है।
शर्मिला बगाजी विन्सट ने बताया कि इस डंपिंग ग्राउंड में जमा लाखों टन कचरे में आग लगने की घटनाएं घटती रहती हैं। एक बार आग लगने पर कई-कई दिनों तक उसका धुआं आसपास के गांवों जैसे उत्तन, डोंगरी, धावगी, पाली, चौक आदि जगहों पर पैâल जाता है। इसकी वजह से गांव के ग्रामीणों में सांस लेने की तकलीफ, हवा में दुर्गंध और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। डंपिंग ग्राउंड के करीब ७ से ८ किलोमीटर के दायरे में वायु प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है।
इस रासायनिक धुएं से स्थानीय ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण इस डंपिंग ग्राउंड से रिसनेवाले रासायनिक गंदे जल के कारण तलहटी में बसे गांवों के तालाब, कुएं के पानी, कृषि की जमीन प्रदूषित हो रही है। इस जगह से लगभग सात किलोमीटर के परिसर में दुर्गंध की समस्या बनी रहती है। इससे निकलने वाला रसायन आसपास के खेतों में भी पैâल जाता है।
इसके अलावा गर्मियों में कचरे में उत्पन्न होनेवाली मिथेन गैस के कारण आग लगने की घटनाएं घटित हो रही हैं। आग लगने से प्रदूषण तो बढ़ता ही है, इसके साथ ही नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। पंद्रह दिन पहले इसी तरह आग लगने के बाद शहर में ठोस कचरा परियोजना का मुद्दा सामने आया है।
यहां पर जो प्रकल्प है, उसकी कचरे पर प्रक्रिया करने की क्षमता कम होने की वजह से मीरा-भायंदर शहर में प्रतिदिन करीब ४५० से ५०० टन सूखा और गीला कचरा निकलता है। शहर के विभिन्न हिस्सों से कचरे को जमा कर उस पर प्रक्रिया करने के लिए उसे भायंदर (पश्चिम) के धावगी में स्थित डंपिंग ग्राउंड (घनकचरा प्रकल्प) पर ले जाया जाता है, जिससे यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। पिछले १० वर्षों से डंपिंग ग्राउंड को कहीं अन्य जगह पर स्थानांतरित करने की मांग स्थानीय लोग उठा रहे हैं, लेकिन इस समस्या को हल करने में न ही स्थानीय नेता ध्यान दे रहे हैं और न ही मनपा प्रशासन। हालांकि, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता है, वैसे ही मीरा-भायंदर के नेता इस समस्या को हल करने के लिए झूठे आश्वासनों का पुलिंदा दिखाते हैं और चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।