मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिसिटीजन रिपोर्टर : कबूतरखाना पर रोक लगाने में मनपा नाकाम

सिटीजन रिपोर्टर : कबूतरखाना पर रोक लगाने में मनपा नाकाम

-लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है बुरा असर

माहिम

मुंबई में कबूतरों को दाना चुगाने रूपी एक बड़ी समस्या जन्म ले रही है। कई जगहों पर लोगों द्वारा कबूतरों को दाना चुगाया जा रहा है। कबूतरों को दाना चुगानेवाले लोग इस बात से अनजान हैं कि वे जिसे दाना चुगा रहे हैं, वो उनके जीवन के लिए काल बन सकता है। माहिम स्थित एलजे रोड के किनारे फुटपाथ पर भी अवैध कबूतरखाना बनाया गया है। यहां भारी तादाद में कबूतर जमा होते हैं। यहां दुकानदारों और अगल-बगल के रहिवासियों द्वारा डाले गए दानों को कबूतर चुगते हैं। कबूतर यहां दाना तो चुगते हैं, लेकिन साथ में गंदगी भी खूब पैâलाते हैं, जिससे ये इलाका बदबूदार हो गया है। कबूतरों की बीट और उनके द्वारा पैâलाई गई गंदगी से लोग परेशान हैं। इतना ही नहीं, इससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर महेंद्र सिंह ने इस समस्या के संबंध में बताया है।
महेंद्र सिंह ने बताया कि मनपा ने कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध तो लगा दिया, लेकिन लोगों द्वारा इसका पालन करा पाने में मनपा लाचार दिख रही है। इसी वजह से लोग खुलेआम कबूतरों को धड़ल्ले से दाना चुगा रहे हैं। मनपा ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रही है। कबूतरों को दाना डालने के पीछे का एक कारण यह भी है कि लोगों का ऐसा मानना है कि कबूतरों को दाना चुगाने से उनके पाप धुल जाएंगे और उन्हें मोक्ष मिलेगा। इस बात को मानकर लोग ऐसा कर तो जरूर रहे हैं, लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि वो रोग के दूत को दाना डाल रहे हैं। कबूतरों की बीट और उनके पंखों की गंदगी के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। माहिम में कबूतरों को दाना चुगाने वाली जगह के बगल ही रोड है, जहां दिनभर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कबूतरों द्वारा पैâलाई गई गंदगी से लोग परेशान हैं, लेकिन इसके बावजूद वो इसे मजबूरन झेल रहे हैं, क्योंकि इस पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
महेंद्र ने बताया कि कबूतरों के पंख पर जमी धूल से लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इनके बीट से लोगों को निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की वजह से उनकी स्थिति खराब हो सकती है। कबूतरों के अत्यधिक संपर्क में रहने से लोगों को एक्सट्रिंसिक एलर्जिक एल्वोलिटिस हो सकता है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में कबूतर ब्रीडर्स रोग कहा जाता है। इसकी पहचान लगातार सूखी खांसी, सांस फूलना और बुखार है। कबूतरों की बीट खतरनाक होने के बावजूद मनपा कबूतरों को दाना डालने पर रोक नहीं लगा पा रही है। यह लोगों के जीवन के प्रति मनपा द्वारा किया जा रहा खिलवाड़ है।
महेंद्र ने आगे कहा कि एक मादा कबूतर ४८ बच्चों को जन्म देती है। एक कबूतर प्रति वर्ष करीब ११.३ किलोग्राम बीट पैदा करता है। ये कण अगर लोगों में सांस के जरिए अंदर चले जाएं तो उनको श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है। यहां तक कि इससे उसकी जान भी जा सकती है।

अन्य समाचार