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सिटीजन रिपोर्टर : प्राणघातक है होर्डिंग लगाना

उल्हासनगर
अवैध, असुरक्षित होर्डिंग के गिरने से घाटकोपर में जहां कई लोगों की मौत हो गई, वहीं कई लोग घायल भी हो गए थे। इस तरह की घटनाओं के घटित होने के बाद ही प्रशासन जागता है और तमाम तरह के आदेश जारी किए जाते हैं। परंतु जैसे ही मामला ठंडा पड़ता है उन आदेशों की अनदेखी शुरू हो जाती है। उल्हासनगर के जागरूक नागरिक तथा ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर संदीप सिंह ने होर्डिंग रैकेट की पोल खोली है कि होर्डिंग लगाते समय मजदूर कितने असुरक्षित होते हैं?
संदीप सिंह बताते हैं कि विज्ञापन एजेंसियां बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाती हैं और उस होर्डिंग के लिए मोटी रकम भी वसूलती हैं, परंतु विज्ञापन एजेंसी वाले इस बात का ध्यान नहीं रखते कि उस होर्डिंग पर विज्ञापन लगाने वाला कितना असुरक्षित है। आज बीस से तीस फुट की ऊंचाई पर चढ़कर विज्ञापन लगाने वाला व्यक्ति यदि संतुलन खोकर नीचे गिर जाए तो सीधे यमलोक पहुंच जाए। अगर किस्मत से कोई बच भी जाए तो जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाता है। उल्हासनगर-१, शहाड रेलवे उड़ान पुल, गुलशन नगर की तरफ से मटेरियल गेट जानेवाले मार्ग पर सेंचुरी रेयान की दीवार की तरफ उच्च दाब के बिजली के पोल से सटाकर अभी हाल ही में होर्डिंग लगाई गई है। उपर्युक्त होर्डिंग को लगाते समय मनपा या बिजली विभाग से इजाजत न लेते हुए होर्डिंग लगाई गई है। इस होर्डिंग पर चढ़ते-उतरते समय बिजली के संपर्क में आने से यदि कामगार की मौत होती है तो उसकी मौत का जिम्मेदार मनपा होगी, बिजली विभाग होगा, विज्ञापन एजेंसी होगी या मजदूर होगा? बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स पर विज्ञापन लगाते समय कामगार बिना किसी सुरक्षा साधन जैसे सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट के ही काम करता है। अब सवाल यह उठता है कि इतनी खतरनाक स्थिति में काम करनेवाले कामगार का स्वास्थ्य बीमा एजेंसी ने करवाया है क्या? इमारत की दीवार, ऊंचाई ,बिजली के पोल के पास लगाए गए होर्डिंग्स पर काम करते समय सुरक्षा के साधनों का इंतजाम किया जाना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार को ऐसी चीजें दिखाई नहीं देतीं?

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