उल्हासनगर
पर्यावरण शुद्धिकरण के लिए बड़े-बड़े वादे करती आ रही उल्हासनगर मनपा केवल सफेद हाथी ही साबित हो रही है। उल्हासनगर एसटीपी अर्थात रसायन शुद्धिकरण विभाग की अनदेखी के कारण उल्हास नदी की दुर्दशा हो रही है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर और पर्यावरण उल्हास नदी मित्र रविंद्र लिंगायत ने उल्हास नदी कैसे प्रदूषित हो रही है, इसका खुलासा किया है।
रविंद्र लिंगायत ने बताया कि ठाणे जिले की ७ नपा-मनपाओं को जलापूर्ति करनेवाली उल्हास नदी में मिलनेवाले खेमानी नाले का सीवरेज नदी को प्रदूषित न करे इसलिए मनपा द्वारा ३६ करोड़ की लागत से सेंचुरी रेयॉन क्लब के सामने पंपिंग स्टेशन बनाया गया है। उल्हासनगर के लोग कचरे को बेरोकटोक नाले में फेंकते हैं। नाले में जमा कचरा पंपिंग स्टेशन में न जाए। इसके लिए नाले सहित और भी कई जगहों पर मैकेनिकल जाली लगाए जाने की मांग की जा रही है, परंतु मनपा द्वारा नियुक्त ठेकेदार नाले पर जाली नहीं लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, नाले में जमा कचरे को दिन में दो-चार बार निकालने की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिसे नहीं किया जा रहा है। ठेकेदार की अनदेखी के कारण नाले का पानी नदी में बिना प्रक्रिया के ही चला जाता है। कभी-कभी जाली पर ध्यान न देने से टूटी जाली के कारण कचरा पंप में फंस जाता है, जिसके कारण दूषित पानी सफाई का काम खटाई में पड़ जाता है। ठेकेदार के साथ ही शहर की सफाई व्यवस्था की ऐसी की तैसी करनेवालों पर अंकुश रखने के लिए स्वच्छता दूत, सजग नागरिक की नियुक्ति करें। ऐसा करने से ठेकेदार चाहे वो जिस भी विभाग से हो शहर को नरक बनानेवालों पर अंकुश लगेगा। शहर स्वच्छ व सुंदर दिखाई देगा। ऐसा करने से उल्हास नदी को प्रदूषित करनेवालों पर लगाम लगेगी। खेमानी नाले से लगकर ही एमआईडीसी का पंपिंग स्टेशन भी है। उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली के साथ ही सेंचुरी रेयॉन का भी पंपिंग स्टेशन है। जहां से लोगों को पीने का पानी सप्लाई किया जाता है। ‘उल्हास नदी बचाओ कृति समिति’ बनाकर उल्हास नदी से जलकुंभी, अन्य तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए जनजागृति की गई। हर तरह के प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए समिति ने आंदोलन, जवान नियुक्त कर सफाई की। समिति यदि अनदेखी करती तो नदी से नाला बन जाती उल्हास नदी।