उल्हासनगर
उल्हासनगर शहर में शासन, प्रशासन द्वारा नियोजित विकास काम समय पर न किए जाने के कारण आज उल्हासनगर विकास की बजाय विनाश की राह पर बढ़ाता दिखाई दे रहा है। उल्हासनगर की ८० प्रतिशत सड़कें सीमेंट-कंक्रीट से बनाई गई हैं। सड़क बनाने से पहले जो कार्य किया जाना चाहिए उसे सड़क बनने के बाद किया जाता है। ऐसा करने से उल्हासनगर की जनता जो विकास के लिए टैक्स भरती है, उसका दुरुपयोग किया जाता है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर दिनेश मीरचंदानी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उल्हासनगर को विनाश नगर बनानेवाले अधिकारियों को सजा क्यों नहीं दी जाती है?
दिनेश मीरचंदानी ने कहा कि साढ़े तेरह वर्ग किलोमीटर के एरिया में बसे शहर उल्हासनगर में हर वर्ष तकरीबन तीन सौ करोड़ रुपए तरह-तरह के विकास कार्यों पर खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद उल्हासनगर के विकास कार्यों को देखकर यह नहीं लगता कि यह मनपा है। इसके लिए भ्रष्ट अधिकारी जवाबदार हैं। उल्हासनगर में इन दिनों एमएमआरडीए द्वारा उल्हासनगर में निर्मल योजना के तहत भूमिगत गटर बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके पहले पानी की लाइन डालने फिर भूमिगत गटर बनाने के लिए सीमेंट-कंक्रीट की सड़क को जेसीबी से तोड़ा जा रहा है, जिसे देखकर शहर प्रेमियों को इस बात की तकलीफ हो रही है कि विकास के नाम पर किस प्रकार से शहर का विनाश किया जा रहा है। गटर के लिए छोटे व्यास की सीमेंट, पीवीसी (प्लास्टिक) की पाइप डाली जा रही है। सवाल ये है कि क्या इस पाइप के चलते भूमिगत गटर की योजना सफल होगी? शहर भर में जगह-जगह सड़क खोद दिए जाने से वाहन चालक परेशान हैं। वैसे तो नियोजन के अभाव में उल्हासनगर काफी पीछे है। उल्हासनगर की कई अन्य योजनाएं धूल खा रही हैं। शहर के विकास के नाम पर शहर के कथित नेता, ठेकेदार और अधिकारियों का विकास हो रहा है। शहर की जनता परेशान है। सड़कों को खोद देने के कारण जगह-जगह जाम लग रहा है। व्यापारी उल्हासनगर आने से कतरा रहे हैं, जिससे व्यापार बर्बाद हो रहा है। स्कूल बस के बच्चे तक भूमिगत गटर के काम के चलते परेशान हो रहे हैं। उचित नियोजन के अभाव के चलते पूरा शहर परेशान है। वहीं नेतागण, ठेकेदार और अधिकारी भूमिगत गटर योजना से मिलनेवाली रिश्वत की रकम से मुंगेरीलाल की तरह नोटों का महल खड़ा करने में लगे हैं।
उल्हासनगर मनपा के शहर अभियंता संदीप जाधव का कहना है कि भूमिगत गटर योजना भविष्य को देखकर बनाई जा रही है। काम अच्छा हो रहा है।