उल्हासनगर
कहते हैं कि पैसा उड़ता है बस उसे पकड़ने वाला चाहिए। उल्हासनगर मनपा प्रशासन टैक्स के लिए लोक अदालत, अभय योजना निकालता है। हर वर्ष सुविधा देने के बावजूद लोग टैक्स भरने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जबकि देखा जा सकता है कि उल्हासनगर की इमारतों की दीवारें और छतें प्रतिवर्ष विज्ञापनों से लाखों रुपए कमा कर दे रही हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर पम्मा अहिरे ने टैक्स को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
पम्मा अहिरे ने बताया कि उल्हासनगर में करीबन एक लाख, अस्सी हजार के करीब मकान, दुकान और कारखाने हैं। उल्हासनगर में ५०० करोड़ रुपए टैक्स बकाया है। लोग टैक्स भरने में तो पीछे रहते हैं, लेकिन सुविधा भरपूर चाहते हैं। उल्हासनगर मनपा का टैक्स विभाग भी काफी भ्रष्ट रहा है। यह मामला न्यायालय तक पहुंचा है। उल्हासनगर में लोगों के घरों का माप बराबर नहीं हो पाया है। उल्हासनगर में टैक्स विभाग की मिलीभगत का ही नतीजा है कि इमारत की दीवारों और छतों पर विज्ञापनों के पोस्टर और मोबाइल के टावर लगे हैं। इतना ही नहीं, सैकड़ों बैंकों के एटीएम बिना मनपा को टैक्स भरे ही चलाए जाते हैं। उल्हासनगर के नेतागण और अधिकारी यदि ईमानदारी के साथ टैक्स भरें तो मनपा को आर्थिक कंगाली जैसे कलंक से बचाया जा सकता है। बता दें कि उल्हासनगर में आर्थिक तंगी के कारण दिव्यांग लोगों को समय पर पेंशन के साथ ही कर्मचारियों को निश्चित समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। शहर का तमाम विकास रुका हुआ है।
पम्मा अहिरे ने आगे कहा कि उल्हासनगर में ईमानदार अधिकारी और नेता जिस दिन आ जाएंगे, उस दिन से उल्हासनगर का पतन थम जाएगा। जिस उल्हासनगर की दीवारों और छतों से इमारत वालों को लाखों रुपए की आय होती है वो लोग जब तक टैक्स नहीं भरेंगे तब तक उल्हासनगर का सुधार नामुमकिन है। सवाल यह है कि टैक्स न भरनेवाले लोगों पर कार्रवाई करे तो करे कौन? आज भी टैक्स विभाग का नियमत: कार्य बिना रिश्वत के नहीं होता है। बढ़ती रिश्वतखोरी उल्हासनगर के विकास में बाधक है।