सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के बांद्रा रेक्लेमेशन में प्रस्तावित व्यावसायिक प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार ने अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की है। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह जमीन सीआरजेड (तटीय नियमन क्षेत्र) के अंतर्गत आती है, जहां व्यावसायिक निर्माण की इजाजत नहीं है।
केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय और अडानी ग्रुप ने मुंबई हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि यह जमीन सीआरजेड से बाहर है इसलिए यहां निर्माण में कोई कानूनी अड़चन नहीं है। मंत्रालय ने चेन्नई के अण्णा यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह जमीन विकास योग्य है और सभी जरूरी मंजूरियां ली जा रही हैं।
नियमों को तोड़ा
पर्यावरण कार्यकर्ताओं और बांद्रा रेक्लेमेशन एरिया वॉलंटियर्स ऑर्गनाइजेशन ने आरोप लगाया कि मुंबई की २०३४ विकास योजना में इस जमीन को ‘खाली क्षेत्र’ और ‘सीआरजेड-१’ में रखा गया है, जहां निर्माण नहीं हो सकता। इसके बावजूद सरकार और एमएसआरडीसी ने अडानी ग्रुप को यह जमीन देने के लिए नियमों को तोड़ दिया।
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
मुंबई हाई कोर्ट पहले ही कह चुका है कि इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण और जैव विविधता को नुकसान हो सकता है। अब कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। सवाल यह है कि क्या सरकार और अडानी ग्रुप ने नियमों का सही से पालन किया है या फिर यह मामला बड़े कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का है?