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क्लीन बोल्ड : छक्के पर बैन

अमिताभ श्रीवास्तव

बच्ची भी, बूढ़ी भी
ओलिंपिक शुरू होनेवाला है और इस बार जो खिलाड़ी चर्चा में है वो एक बच्ची है और एक बूढ़ा है। इन दोनों पर नजरें होंगी क्योंकि यदि ये कोई पदक जीतते हैं तो रिकॉर्ड भी बननेवाला है। इस पूरे ओलिंपिक में सबसे कम उम्र यानि ११ वर्ष और ११ महीने की स्केटबोर्डर झेंग सबसे युवा खिलाड़ी हैं। हालांकि, वह अब तक सबसे युवा ओलिंपियन रहे यूनानी जिम्नास्ट दिमित्रोस लाउंडरास से एक साल बड़ी हैं। दिमित्रोस ने १८९६ में दस वर्ष २१८ दिन की उम्र में पहला ओलिंपिक खेला था। दूसरी तरफ कनाडा की घुड़सवारी टीम की सदस्य जिल इरविंग ६१ वर्ष की उम्र में ओलिंपिक में पदार्पण करेंगी। मगर ऑस्ट्रेलिया की मेरी हान्ना १९९६ अटलांटा ओलिंपिक से छह ओलिंपिक खेल चुकी हैं और ६९ वर्ष की उम्र में घुड़सवारी टीम (ड्रेसेज) में रिजर्व खिलाड़ी हैं। ऑस्ट्रेलियाई टीम में किसी के चोटिल या बीमार होने पर ही उन्हें बुलाया जाएगा। इतिहास में दर्ज सबसे उम्रदराज खिलाड़ी स्वीडन के निशानेबाज आस्कर स्वान थे, जिन्होंने ७२ वर्ष की उम्र में १९२० एंटवर्प ओलिंपिक खेला था।

छक्के पर बैन
क्रिकेट में छक्का बल्लेबाज के लिए सर्वोपरि होता है, जो उसके कौशल को व्यक्त करता है। मगर क्या उस पर बैन लगाया जा सकता है? हां, अब छक्का बैन हो गया है। ये खबर गली क्रिकेट में छक्के लगाने पर पाबंदी के बारे में नहीं है, बल्कि इंग्लैंड के क्लब की है, जिसने सिक्सर मारने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। साउथविक और शोरहैम क्रिकेट क्लब ने बल्लेबाजों के छक्का लगाने पर पाबंदी लगा दी है। इस बैन को मैदान के आसपास रहनेवाले लोगों की प्रॉपर्टी को नुकसान होने के बाद दर्ज की गई शिकायत की वजह से लगाया गया है। अब मैच में क्लब की तरफ से छक्का मारनेवाले बैटर को आउट करार दिया जाएगा। साउथविक और शोरहैम क्रिकेट क्लब के कोषाध्यक्ष मार्क ब्रोक्सअप ने सिक्स पर प्रतिबंध के नियम की जानकारी दी है। उस पैâसले के बारे में पैâसला इंश्योरेंस क्लेम और कानूनी कार्रवाई से होनेवाले आर्थिक नुकसान से बचने के लिए लगाया गया है। स्टेडियम के आस-पास रहनेवाले लोगों की गाड़ियों और घर की संपत्ति को छक्के की वजह से नुकसान उठाना पड़ा रहा था। इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी और हर्जाने से बचने के लिए क्लब ने यह फैसला लिया।

यह होता है
मौके को भुनाना
एशिया कप में टीम इंडिया की महिला विंग ने तीसरा लगातार मैच नेपाल से जीता और सेमीफाइनल के लिए ताल ठोक कर क्वालीफाई किया। नेपाल के मैच में हरमनप्रीत की जगह स्मृति मंधाना कप्तान थीं और ये मौका था उनके पास जो उन्होंने भुनाया भी। दरअसल, वो एक ओपनर हैं, मगर ओपनिंग में नहीं उतरीं। उन्होंने बताया कि वह मध्यक्रम को मौका देना चाहती थीं। मैच के बाद मंधाना ने कहा, `एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर आपको ऐसे बहुत कम मैच मिलते हैं, जिनमें आपको बल्लेबाजी नहीं करनी पड़ती। बाकी सभी बल्लेबाजों के लिए खेल के समय की बहुत जरूरत थी। पिछले मैचों में मध्यक्रम ने बल्लेबाजी नहीं की है। परिस्थितियां अलग थीं और खेल के समय का होना हमेशा अच्छा होता है। दक्षिण अप्रâीका सीरीज में भी मध्यक्रम को समय नहीं मिला इसलिए अच्छा हुआ कि वे बीच में कुछ समय बिता पाए।’

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

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