मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड : फजीहत का नाम पाकिस्तान

क्लीन बोल्ड : फजीहत का नाम पाकिस्तान

अमिताभ श्रीवास्तव

अब गुस्सा होकर भी क्या दिखाना चाहेंगे पीसीबी अध्यक्ष जब जगह ही नहीं मिल रही कि इंग्लैंड के साथ मैच कहां हो। बेहाल है पाकिस्तान और फजीहत की भी पूरी तैयारी है। या कहें फजीहत का नाम ही पाकिस्तान है। एक तो चैंपियन ट्रॉफी को लेकर मैदान अभी तक बने नहीं हैं, दूसरे अगले महीने अंग्रेज पाकिस्तान खेलने आ रहे हैं और कोई मैदान नहीं मिल रहा। हंसी का पात्र बना पाकिस्तान दुनिया के सामने एक्सपोज हो रहा है। लिहाजा, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन रजा नकवी गुस्से से लाल-पीले हुए जा रहे हैं। वो पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं कि हर हाल में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन अपने देश में करवाना है। अगले साल बड़े टूर्नामेंट के कारण फिलहाल देश के तीनों बड़े मैदानों का नवीकरण चल रहा है। ठीक इसी वजह से बोर्ड के चीफ नकवी को गुस्सा आ गया है। उनके गुस्से का कारण यह है कि मैदानों में चल रहे निर्माण कार्य के कारण पाकिस्तान बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के वेन्यू को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। दोनों देशों के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज ७ अक्टूबर से शुरू होगी। शेड्यूल के अनुसार ये तीन मैच मुल्तान, कराची और रावलपिंडी में होने हैं, लेकिन समय रहते मैदानों के तैयार हालत में पहुंचने की उम्मीद बहुत कम है। यही कारण है कि पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी गुस्से में हैं।

बोलते रहो, करोड़ों कमाते रहो
बस बोलना है और आजकल तो जो मन में आता है वो बोलते रहते हैं। यह सोचे बिना भी कि सुनने वाले त्रस्त होते जा रहे हैं। पर फिर भी बोलना आवश्यक है, क्योंकि इससे बनता है पूरे मैच का माहौल। बात कर रहे हैं कमेंट्री की। यह पेशा बन चुका है और अब तो लगभग सारे खिलाड़ी संन्यास लेते ही कमेंट्री के मैदान में कूदने लगे हैं, क्योंकि यहां मिलता है बोलने का करोड़ों रुपया। अब चाहे आप बोलकर लोगों के दिलों पर छा जाएं या लोगों को त्रस्त करें, पैसा भरपूर है। टीवी पर कमेंट्री करते हुए आकाश चोपड़ा को तो सबने देखा है, तो चोपड़ा साहब ने ही बता दिया है कि कितना पैसा मिलता है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर एक मैच की फीस मिलती है, जिसमें ६ से १० लाख रुपए रोजाना की कमाई हो सकती है। इस लिहाज से अगर कोई कमेंटेटर साल में १०० दिन कमेंट्री करता है, तो वह एक साल में १० करोड़ रुपए कमा लेगा। है न बैठे-बैठे बोलते रहने का कमाल।

ट्रेक छोड़कर मॉडलिंग में उतरेगी परी
यह एक दुर्भाग्य है मगर एथलीट के जीवन में ऐसा होता है कि चोटों की वजह से वह खेल में उतर नहीं पाता। अभी पिछले एशियाड में मेडल जीतकर ओलिंपिक में तगड़ी उम्मीद जतलाने वाली खूबसूरत एथलीट चोटिल हुई और सारे सपने धरे के धरे रह गए। लगातार इंजरी से भी खिलाड़ी उकता जाता है। लिहाजा, ट्रेक एंड फील्ड की यह परी अब मॉडलिंग करना चाहती है। पंजाब की रहनेवाली हरमिलन बैंस ने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल किए हैं। हालांकि, अब वह खेल को छोड़कर मॉडल बनने के बारे में सोचने लगी हैं। हरमिलन बैंस भारत की लॉन्ग डिस्टेंस रनर हैं। पिछले साल चीन के हांगझू में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने ८०० मीटर और १,५०० मीटर में सिल्वर मेडल जीता था। इन दो इवेंट्स में एक साथ मेडल जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला एथलीट थीं। हरमिलन ने बताया कि उन्हें ‘ग्रेड २बी’ हैमस्ट्रिंग टियर है। वह यह जानती हैं कि इतनी गंभीर चोट के साथ उनका एथलेटिक्स करियर अनिश्चित है। हरमिलन कहती हैं वो खेल छोड़कर मॉडलिंग के बारे में सोच रही हैं। उनके लिए मॉडलिंग एक करियर विकल्प है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

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