द्रुप्ति झा / मुंबई
सालभर भी नहीं हुआ और मनपा अपने फैसले से पलट गई। १३ अप्रैल २०२४ से मनपा ने मुंबई के सभी २४ वॉर्डों में क्लीन-अप मार्शल तैनात किए थे, लेकिन अब ४ अप्रैल से ये मार्शल सड़कों पर नहीं दिखाई देंगे। इसकी वजह मनपा ने खुद बताई है कि मार्शलों पर अवैध वसूली के आरोप लग रहे थे इसलिए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई। अब सवाल उठता है कि इससे पहले भी कोरोना के दौरान मार्शलों पर अवैध वसूली और लोगों से मारपीट करने के आरोप लगे थे। इसके बावजूद मनपा ने इसकी जांच-पड़ताल किए बिना ही मार्शलों को तैनात किया था।
लगातार मिल रही थीं शिकायतें
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लोगों ने आरोप लगाए थे कि मार्शल न सिर्फ अवैध वसूली करते हैं, बल्कि बदतमीजी पर भी उतर आते हैं। ये लोग रसीद दिए बिना ही लोगों से पैसे ले लेते थे। पैसे न देने पर गाली-गलौज करते थे और मारपीट पर भी उतर आते थे। इन्हीं शिकायतों के चलते मनपा ने इन्हें हटाने का पैâसला किया है। मनपा का कहना है कि ४ अप्रैल के बाद अगर कोई मार्शल सड़क पर वसूली करते हुए पाया जाता है तो लोग शिकायत कर सकते हैं और ऐसे मार्शलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ रेलवे स्टेशनों के बाहर ही खड़े रहते थे मार्शल
मनपा के एक अधिकारी ने बताया कि मार्शलों को होटलों और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर तैनात किया गया था, लेकिन ये सिर्फ रेलवे स्टेशनों के बाहर ही खड़े रहते थे। ये लोग अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे मनपा की साख पर बट्टा लग रहा था। यही वजह है कि इन्हें अब हटाया जा रहा है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की मागाठाणे विधानसभा संगठक रोशनी कोरे ने कहा कि मनपा द्वारा तैनात क्लीन-अप मार्शल अवैध वसूली कर रहे थे तो ये बात मनपा को वैâसे पता नहीं चली, इससे मनपा अपने कामों के प्रति गैरजिम्मेदार प्रतीत होती है। ये अवैध वसूलीr अगर हो रही थी तो किसके लिए हो रही थी, इसका जवाब मनपा को देना होगा। जब हटाना ही था तो दोबारा तैनात क्यों किए गए थे। आखिर मनपा ने ये पैâसला क्यों लिया, यह किसी को फायदा पहुंचाने की कोशिश तो नहीं है।