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मीठी नदी की सफाई … `ढाक के तीन पात’! …गंदगी बढ़ती जा रही, सफाई टलती जा रही

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हर साल मानसून में जलभराव की समस्या से जूझती है और इसे रोकने के लिए मनपा को समय पर नालों और नदियों की सफाई करनी होती है। लेकिन इस साल भी मीठी नदी और नालों की सफाई में देरी से सवाल खड़े हो रहे हैं। मार्च से सफाई शुरू करने का दावा किया गया था, लेकिन टेंडर प्रक्रिया और कार्य आदेश जारी करने में देरी के कारण सफाई काम पर असर हुआ है। मतलब साफ है कि मीठी नदी की सफाई की बात तो होती है, लेकिन सफाई वही `ढाक के तीन पात’ जैसी होगी।
हर साल मनपा का जल निकासी विभाग बड़े नालों की सफाई करता है, जबकि छोटे नालों की सफाई क्षेत्रीय कार्यालयों के स्तर पर होती है। इसका मकसद होता है कि बारिश का पानी तेजी से निकले और जलभराव न हो, लेकिन जब सफाई समय पर शुरू ही नहीं होगी तो यह प्रक्रिया कितनी प्रभावी होगी?

रु. ५०० करोड़ का है बजट
मनपा ने इस सफाई अभियान के लिए ५०० करोड़ रुपए से ज्यादा के बजट से २६ टेंडर जारी किए हैं। इसके बावजूद समय पर काम शुरू नहीं हुआ। पहले ६ मार्च से सफाई शुरू करने की योजना थी, लेकिन अब २० मार्च के बाद काम धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। हर साल इतने बड़े बजट और तैयारियों के दावों के बावजूद सफाई कार्य में देरी होती है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या मनपा सिर्फ फाइलों में काम कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है?

१२.१६ लाख मीट्रिक टन गंदगी हटाने का लक्ष्य
इस साल १२.१६ लाख मीट्रिक टन गंदगी हटाने का लक्ष्य है। इसमें से ८० फीसदी सफाई मई तक, १० फीसदी मानसून के दौरान और बाकी १० फीसदी बाद में की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि जब सफाई पहले ही देर से शुरू हो रही है तो यह योजना कितनी कारगर होगी?

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