सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में ग्रामीण के साथ ही शहरी क्षेत्रों में खासकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की झोपड़पट्टियों में रहनेवाले बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं। इस बात को खुद सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मानते हुए महिला व बाल विकास विभाग को मुंबई की झोपड़पट्टियों को कुपोषण मुक्त करने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में शिशु और माता मृत्यु दर को रोकने के साथ ही कुपोषण को कम करने के लिए कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। हालांकि, अभी भी ये सभी उपाय नाकाफी हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष २०२१-२२ में १२,८६४ बच्चों, वर्ष २०२२-२३ में, १५,४६६ बच्चों और वर्ष २०२३-२४ में १४,२३१ बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा माता मृत्यु दर भी बढ़ी है। स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन शिशु मृत्यु दर के प्रमुख कारण हैं। दूसरी तरफ देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित झोपड़पट्टियों में रहनेवाली महिलाओं और बच्चों में भी कुपोषण की समस्या सामने आई है। इसे खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को हुई बैठक में माना है, साथ ही उन्होंने महिला व बाल विकास विभाग को मुंबई की झोपड़पट्टियों में पैâल रहे कुपोषण को कंट्रोल करने का निर्देश भी दिया है। दूसरी ओर इसे लेकर महायुति सरकार की जमकर खिंचाई शुरू हो गई है।
शहरी क्षेत्रों में कुपोषण मुक्ति के लिए चलाएं विशेष अभियान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिए गए निर्देश में कहा है कि ग्रामीण महाराष्ट्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों, विशेषकर मुंबई महानगर क्षेत्र की झुग्गी बस्तियों में कुपोषण मुक्ति अभियान प्रभावी ढंग से चलाया जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग को स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित कर शहरी झुग्गी क्षेत्रों में कुपोषण मुक्ति योजनाएं लागू करनी चाहिए। महिलाओं और बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कार्य योजना तैयार कर उसका सक्षम क्रियान्वयन किया जाए। साथ ही आंगनवाड़ी केंद्रों में शौचालयों की स्वच्छता, पीने के स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और नागरिक बाल विकास केंद्र तत्काल शुरू करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।