सामना संवाददाता / मुंबई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में चल रही प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए एक वॉर रूम स्थापित किया है। इस वॉर रूम के माध्यम से प्रमुख परियोजनाओं पर नजर रखते हुए इनमें आने वाली बाधाओं को दूर किया जा रहा है। हालांकि, अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसी तर्ज पर शिवसेना के अधीन आने वाली परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए एक अलग कोऑर्डिनेशन रूम स्थापित किया है। राजनीतिक हलकों में ये भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि फडणवीस और एकनाथ शिंदे में यह एक तरह से कोल्ड वॉर शुरू हो गया है।
विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में स्थापित महायुति सरकार में शुरू से ही एकनाथ शिंदे असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं। शुरुआत में मुख्यमंत्री पद, फिर मंत्रिमंडल विस्तार, उसके बाद विभागों का बंटवारा और अब पालकमंत्री पद की नियुक्ति को लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे द्वारा स्थापित इस कोऑर्डिनेशन रूम को देवेंद्र फडणवीस को चुनौती देने के लिए उठाया गया कदम माना जा रहा है।
शिंदे गुट के मंत्रियों के पास कुछ महत्वपूर्ण विभाग भी हैं। इनमें नगर विकास, म्हाडा, एमएसआरडीसी, गृहनिर्माण जैसे विभाग शामिल हैं। इन सभी विभागों के तहत चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा इस कोऑर्डिनेशन रूम के माध्यम से की जाएगी। इसके अलावा सरकार के सभी प्रमुख अधिकारियों और सचिवों को भी इस समन्वय कक्ष में होने वाली बैठकों में उपस्थित रहना होगा। इससे एक तरफ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच दो सत्ता केंद्र बनने की आशंका जताई जा रही है।
पहले से ही हैं
दो सहायता निधि कक्ष
एकनाथ शिंदे के पास मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी होने के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता निधि कक्ष के माध्यम से कई मरीजों की आर्थिक मदद की थी। हालांकि, अब यह कक्ष मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नियंत्रण में चला गया है इसलिए एकनाथ शिंदे ने अब उपमुख्यमंत्री सहायता कक्ष की स्थापना की है। साथ ही इस कक्ष के प्रमुख पद पर मंगेश चिवटे को फिर से नियुक्त किया गया है। इसे भी देवेंद्र फडणवीस को चुनौती देने का प्रयास माना जा रहा है।