महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की खुले तौर पर धज्जियां उड़ रही हैं। हत्या, जबरन वसूली, भ्रष्टाचार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने महाराष्ट्र को बदनाम कर दिया है। पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात भीड़-भाड़ में पुलिस की मौजूदगी में हत्या कर दी गई। इस हत्या से मुंबई शहर हिल गया है। हर किसी के मन में यह अहसास होने लगा है कि वह असुरक्षित है। मुख्यमंत्री शिंदे और उनकी सरकार ने जिस भ्रष्ट और बेलगाम तरीके से प्रशासन चलाया है, उसे देखते हुए सभी को अपनी जान हथेली पर रखकर रहना होगा। बाबा सिद्दीकी की निर्मम हत्या ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य में सरकार अस्तित्व में नहीं है। सरकार का मतलब क्या? सरकार को गुंडों या जबरन वसूली करने वालों के गिरोह की तरह चलाया जा रहा है और जो पुलिस अधिकारी गिरोह की मदद करेंगे, उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जा रहा है। मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है। यह देश का एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र है। देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का लगातार मुंबई आना-जाना लगा रहता है। मुख्य बात यह है कि शिंदे-फडणवीस सरकार ने मुंबई में दो-दो पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति की है, फिर भी लोगों की सुरक्षा हवा में है और दिनदहाड़े सड़कों पर हत्याएं हो रही हैं। पिछले चार दिनों में मुंबई में १७ हत्याएं हुईं। हम अन्य अपराधों का विवरण नहीं देते हैं, लेकिन मुंबई शहर हत्याओं और जबरन वसूली से दहल गया है। ये झटके मुख्यमंत्री को नहीं दहलाते। उनमें कितना खोखलापन नजर आता है। बदलापुर रेप केस के आरोपी अक्षय शिंदे का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री शिंदे और गृहमंत्री फडणवीस ने खुद को ‘सिंघम’ घोषित कर दिया। उन दोनों सिंघमों की ऐसी-तैसी कर गुंडों ने मुंबई पर कब्जा कर लिया है। बाबा सिद्दीकी राज्य के मंत्री थे। राजनीति और सामाजिक मामलों में उनका स्थान था। वह फिल्म इंडस्ट्री में कई लोगों से जुड़े थे। वह सलमान खान, शाहरुख खान के काफी करीब थे। किसी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी है। बीच में सलमान के घर पर फायरिंग भी हुई थी। अब इसी गैंग ने बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी ली है। चूंकि बाबा सिद्दीकी सलमान खान के दोस्त थे, इसलिए यह बात सामने आई कि लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है। सलमान खान के कई दोस्त हैं। फिल्म निर्माता, निर्देशक सलमान के साथ काम करते हैं। तो क्या अब ऐसा समझें कि इन सभी लोगों की जान खतरे में है? पुलिस के सामने यही चुनौती है। यदि कोई व्यक्ति जो कई वर्षों तक नगरसेवक, विधायक और मंत्री रहा है, उसकी फिल्म अभिनेता से दोस्ती के कारण हत्या कर दी जाती है तो यह शिंदे सरकार की विफलता है। पुलिस व्यवस्था राजनीतिक दीमक और भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। मुंबई-ठाणे में ७५ फीसदी पुलिस बल को गद्दार विधायकों, सांसदों और उनके समर्थकों की सुरक्षा में तैनात किया गया है। इसलिए, मुंबई और राज्य की सुरक्षा कमजोर हो गई है। ढाई साल में मुंबई और पुणे जैसे शहरों में गुंडों के गिरोह पनप गए हैं। पुणे में हत्या, बलात्कार और नशाखोरी का बोलबाला है। ज्यादातर हत्याएं कोयते और बंदूकों से की जाती हैं। पुणे महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और शैक्षणिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन आज वहां हत्याएं, रंगदारी, बलात्कार, कोयता गिरोह का खौफ है। नागपुर में भी कुछ अलग नहीं हो रहा है। मुंबई में एक बार फिर ‘गैंगवॉर’ का दौर आ गया है। क्योंकि मुख्यमंत्री शिंदे ने अपनी राजनीति के लिए अपने कई ‘राम रहीम’ आजाद कर दिए हैं। यदि राजा ही गुंडों का ‘सेनापति’ बनकर काम करेगा तो राज्य वैâसे सुरक्षित एवं सभ्य रहेगा? गिरोहों के गॉडफादर के तौर पर राज्य की सत्ता चलाई जा रहा है। इस राज्यव्यापी गुंडागर्दी को भ्रष्टाचार से प्राप्त धन से पोषित किया जा रहा है और उन्हीं गुंडों का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ा जा रहा है। ये सब महाराष्ट्र की छवि को मलीन करने वाले कारनामे हैं। महाराष्ट्र राज्य उत्तम प्रशासन और कानून व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध था। आज वह मीनार ढह गई है। मुख्यमंत्री शिंदे ने सबसे पहले पुलिस विभाग का अपराधीकरण किया, उन्हीं अपराधियों को सशक्त बनाकर राजनीति शुरू की। अब पूरे महाराष्ट्र सहित मुंबई पर अपराधियों का राज शुरू हो गया है। इस बदलाव से सबसे ज्यादा खुश गृहमंत्री अमित शाह हुए होंगे। वे जो चाहते हैं वही मुंबई में हो रहा है। शाह ने महाराष्ट्र जैसे उन्नत राज्य की सत्ता पर गुंडों के सेनापति को बैठाकर महाराष्ट्र से बदला लिया है। अब क्या करना है?