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भाजपा राज में आम आदमी हलाकान … किस्तों में घर-गाड़ी लेना नहीं है आसान! …बैंकों को नहीं हो रहा फायदा

-घटा दी लोन की आवंटन राशि
सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा राज में महंगाई और बेरोजगारी से आम आदमी हलाकान है। पैसा इतना है नहीं कि वह घर या गाड़ी एक मुश्त पैसे देकर खरीद सके। इसके लिए वह बैंक से लोन लेकर अपनी यह जरूरत पूरी करता है। मगर अब बैंकों पर मुद्रास्फीति का दबाव काफी बढ़ता जा रहा है, ऐसे में बैंकों का फायदा काफी घटता जा रहा है। इस कारण अब बैंकों ने होम और वाहन लोन के मद में आवंटन काफी घटा दिया है। ऐसे में अब किस्तों में घर और गाड़ी खरीदने का सपना देखनेवालों के लिए परेशानी बढ़ गई है।
बता दें कि बीते सालों के मुकाबले बैंकों का आवास ऋण (जिसमें प्राथमिक क्षेत्र आवास लोन या पीएसएल भी शामिल हैं) में १२ फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो २९ नवंबर २०२४ तक २९.०८ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह पिछले वर्ष की तुलना में ३७ फीसदी की वृद्धि से काफी कम है। इसी तरह जुलाई-नवंबर २०२४ के बीच पीएसएल आवास लोन में महज २ फीसदी की वृद्धि हुई है, जो पिछले साल २० फीसदी थी। वाहन लोन में भी गिरावट आई है, जो जुलाई-नवंबर के बीच १०-१६ फीसदी के बीच बढ़े हैं, जबकि पिछले साल यह वृद्धि २१ फीसदी थी।

जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटा
करण गुप्ता के अनुसार, जीडीपी के अनुमान में भी कमी की गई है। उन्होंने कहा, ‘हमने एफ२५ में ७.५ फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान किया था, लेकिन अब यह घटकर ६.४ फीसदी रह गया है। खुदरा ऋणों की वृद्धि में भी गिरावट आई है, जो पहले १८-२० फीसदी के बीच होती थी, अब १२-१३ फीसदी के आसपास पहुंच गई है’।

कर्ज देने की शर्तें कड़ी
करण गुप्ता के अनुसार, ‘कर्ज दाताओं ने अपनी कर्ज देने की शर्तें कड़ी कर दी हैं और यदि अपेक्षित वेतन वृद्धि नहीं होती, तो उपभोक्ता अपनी खरीदारी पर पुनर्विचार करेंगे और यह आंकेंगे कि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकते हैं या नहीं।’

वाहन लोन में गिरावट
आरबीआई के डेटा के मुताबिक, लोन में यह गिरावट विशेष रूप से यह दर्शाती है कि उधारी में कमी आई है और बैंकों के लिए उधार देने की क्षमता कम हो गई है। भारत रेटिंग्स और रिसर्च के हेड और डायरेक्टर करण गुप्ता के अनुसार, ‘वर्तमान रुझान अर्थव्यवस्था में मंदी और आरबीआई द्वारा असुरक्षित क्रेडिट पर जोखिम भार बढ़ाने का परिणाम है।’

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