डॉ. नरेंद्र गुप्ता
जीवों पर दया करो ये प्रकृति के शृंगार हैं। जीवों पर दया नहीं तो फिर मनुष्य किस बात का, वह मनुष्य इंसान ही नहीं है। जानवर हम मनुष्यों की तरह ही जीवित जीव हैं, जो कि बोल नहीं सकते, लेकिन उनके अंदर प्रेम, कृतज्ञता एवं वफादारी को समझने की शक्ति काफी बेहतर होती है। वे इंसान के अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं। एक जानवर से मनुष्य को उसकी वफादारी और प्रेम करने के गुण को सीखने की आवश्यकता है। जानवर हमारी करुणा और सम्मान के योग्य हैं। जानवरों को भी हम इंसानों की तरह पीड़ा मुक्त जीवन जीने का अधिकार है। बेजुबानों पर जो लोग क्रूरता करते हैं उनके लिए कानूनी रूप से सजा का प्रावधान है। मूक जीवों के रहने की जगहों पर इंसानों ने बिल्डिंगें बना दी और वहां रहनेवाले जानवरों को भगाते हैं। इसमें उन जानवरों की क्या गलती, वो हमारी जगह नहीं आए हमने उनकी जगह हड़प ली।
विकास के नाम पर जगह-जगह पेड़ों की कटाई हो रही है, उन पर रहनेवाले पक्षियों का घरौंदा हमने बर्बाद कर दिया और उसके जिम्मेदार हम लोग ही हैं। इंसान अपने अलावा जीव-जंतुओं को देखना नहीं चाहता। वो यह भूल जाता है कि धरती पर सबका बराबर का अधिकार है। किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि मूक प्राणियों को उनके स्थान से दूसरी जगहों पर स्थानांतरित करे। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि सोसाइटियों में रहनेवाले कुत्ते-बिल्लियों के खाने-पीने की जगह सुनिश्चित की जाए, ताकि उन्हें खिलाने-पिलाने वालों को असुविधा न हो।