-देवेंद्र को दरकिनार करने से फडणवीस खेमे में नाराजगी
सामना संवाददाता / मुंबई
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद फंसे पर्यटकों को लाने के लिए राज्य सरकार ने अपना प्रतिनिधि सुनिश्चित कर भेजा है, लेकिन इसके बावजूद शिंदे गुट और अजीत पवार गुट अलग-अलग प्रकार से श्रेय लेने की होड़ में जुटे हैं। दोनों गुट की ओर से सीएम कार्यालय से परे जाकर खबरें पैâलाई जा रही हैं। इस संवेदनशील घटना के दौरान भी महाराष्ट्र में महायुति के नेताओं के बीच आपसी तालमेल कम और क्रेडिट लेने की होड़ ज्यादा दिख रही है, जबकि इस घटना में मृतकों के परिजनों के आंसू अभी तक थमे भी नहीं हैं।
उधर, देवेंद्र को दरकिनार करने से फडणवीस खेमे में नाराजगी की बात कही जा रही है। राज्य के मंत्री गिरीश महाजन को मुख्यमंत्री की ओर से सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए कश्मीर भेजा गया है, लेकिन सीएम देवेंद्र के आदेशों को दरकिनार कर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी वहां पहुंच गए हैं।
महायुति का अंदरूनी विवाद
एक बार फिर उजागर
समानांतर सरकार चला रहे हैं एकनाथ शिंदे
जब सरकार ने एक मंत्री को भेजा है तो डीसीएम को वहां जाने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन डीसीएम शिंदे वहां पहुंच गए और मीडिया को लगातार अलग-अलग प्रकार से बयान जारी कर खबरों में भी बने हुए हैं। यह कृत्य महाराष्ट्र सरकार के अंदरूनी विवादों को उजागर कर रहा है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो एक तरफ इस संकट के समय मे विपक्ष सरकार के साथ हैं। दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार के घटक दल कश्मीर की इस दुखद घटना के मौके पर भी राजनीतिक चालें चल रहे हैं और श्रेय लेने की कोशिशों में लगे हुए हैं। इससे महाराष्ट्र की छवि खराब हो रही है।
राजनीतिज्ञों ने सवाल उठाया है कि क्या एकनाथ शिंदे समानांतर सरकार चला रहे हैं? देवेंद्र फडणवीस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन शिंदे उन्हें सुनने को तैयार नहीं हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दुखद समय में किसी को भी इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।
महाराष्ट्र के छह लोगों की इस हमले में मौत हुई है। बड़ी संख्या में पर्यटक भी फंसे हैं। कुछ लाए गए हैं तो कुछ लाए जा रहे हैं। कल शाम तक अलग-अलग समय पर दो विमान से महारष्ट्र के लगभग ५०० पर्यटकों को कश्मीर से सुरक्षित मुंबई एयरपोर्ट पर लाया गया। बता दें कि पहलगाम घटना को लेकर केंद्र सरकार ने अब शक्ति दिखाई है और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। माना जा रहा है कि इससे पाकिस्तान को करारा जवाब मिलेगा।