मुख्यपृष्ठनए समाचारडॉ. आंबेडकर की निंदा : भाजपा के पेट का जहर बाहर आया!

डॉ. आंबेडकर की निंदा : भाजपा के पेट का जहर बाहर आया!

संसद में भारतीय संविधान पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने ‘संविधान’ के निर्माता भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान किया। डॉ. आंबेडकर का अपमान देश के करोड़ों वंचितों, दलितों और उत्पीड़ित लोगों का अपमान है। गृहमंत्री अमित शाह गुजरात के व्यापारी हैं। राजनीति उनका धंधा है। उन्होंने उसी व्यावसायिक मदांध में कहा, ‘आंबेडकर आंबेडकर क्या कर रहे हैं? आंबेडकर का जाप करना अब एक पैâशन बन गया है। अगर कांग्रेस ने अंबेडकर की जगह भगवान का जाप किया होता, तो उन्हें स्वर्ग दिखाई देता।’ ये बयान जहर है। ऐसे निकला अमित शाह के पेट का जहर! डॉ. आंबेडकर न केवल दलित भाइयों के बल्कि संपूर्ण मानवजाति के भगवान हैं। भाजपा को डॉ. आंबेडकर से हमेशा नफरत थी, लेकिन सियासी सहूलियत के चलते वे अब तक आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करते रहे। हालांकि, अनजाने में, भाजपा के आंबेडकर प्रेम के ढोंग का पर्दाफाश हो गया! लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ‘चार सौ पार’ का नारा दिया था। यदि चार सौ पार हो गया होता तो उन्होंने डॉ. आंबेडकर के संविधान को फेंककर नया संविधान लिखना शुरू कर दिया होता। लोगों ने चार सौ को रोक दिया। उसका गुस्सा वे आंबेडकर पर निकाल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के विद्वानों ने डॉ. आंबेडकर को लगातार बदनाम किया। डॉ. आंबेडकर जब ब्रिटिश सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री थे, तब १९४२ में, उन्होंने अच्युतराव पटवर्धन जैसे कांग्रेसी भूमिगत नेता को अपने घर पर आश्रय देने का साहस किया था। फिर भी भाजपा के लेखकों और शोधार्थियों की मंडली ने डॉ. आंबेडकर को अंग्रेजों का पिछलग्गू साबित करने की कोशिश की। ‘संघ’ मंडली ने आंबेडकर के विचारों के बाबत भ्रम पैदा करने की कोशिश की। आज दलितों पर
सबसे ज्यादा अत्याचार भाजपा शासित
राज्यों में हो रहा है। सार्वजनिक प्याऊ पर पानी पीने की वजह से दलित बच्चों को भाजपाइयों द्वारा पीटा जाता है। अपमानित किया जाता है। ऐसी घटनाएं मोदी-शाह के गुजरात में ज्यादा हैं। यही वजह थी कि डॉ. आंबेडकर ने ऐसी स्वतंत्रता को धिक्कारा था। गोलमेज परिषद में अपने भाषण में डॉ. आंबेडकर ने कहा था, ‘जब भी हम अंग्रेजों के आने से पहले हमारे समाज की स्थिति और अंग्रेजों के आने के बाद हमारे समाज की स्थिति की तुलना करते हैं, तो हम देखते हैं कि हमारी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। अंग्रेजों के आने से पहले, अस्पृश्यता थी। क्या अंग्रेजों ने छुआछूत खत्म करने के लिए कोई प्रयास किया? अंग्रेजों के आने से पहले हम कुएं से पानी नहीं भर सकते थे। हम मंदिर नहीं जा सकते थे। पुलिस की नौकरियों तक में हमें मनाही थी। फौज में नहीं लिया जाता था। क्या अंग्रेजों के आने के बाद इसमें बदलाव आया? अंग्रेजों को आए डेढ़ सौ साल हो गए, लेकिन हमारे खिलाफ एक भी अन्याय दूर नहीं हुआ। ऐसी ब्रिटिश सरकार किस काम की? पूंजीपति श्रमिकों को जीवनयापन योग्य वेतन नहीं देते। जमींदार किसानों का शोषण कर रहे हैं। क्या सरकार ये बातें नहीं जानती? इन चीजों पर सरकार का अधिकार है। लेकिन सरकार ने उस अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया।’ डॉ. आंबेडकर के इस तरह के स्पष्ट विचारों के बावजूद भाजपा की सोच वाले लोगों ने आंबेडकर की बदनामी जारी रखी। आंबेडकर के किसी भी सामाजिक सुधार को लेकर आंदोलन में संघ की सोच वाले लोगों की हिस्सेदारी नहीं रही। संविधान समिति के अंतिम भाषण में डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था, ‘अपने-अपने स्वार्थ की वजह से अतीत में हमने अपनी स्वतंत्रता गवां दी थी। क्या
इतिहास की पुनरावृत्ति होगी?
अगर ऐसा हुआ तो दूसरी दफा हम अपनी आजादी गवां देंगे और फिर इसे हमेशा के लिए गंवाना पड़ेगा, इसलिए अपने-अपने खून की आखिरी बूंद तक हमें अपने देश की रक्षा करनी चाहिए।’ इस तरह के प्रखर राष्ट्रवादी विचारों वाले डॉ. आंबेडकर समाज के आडंबरों और झूठ के खिलाफ थे। डॉ. आंबेडकर ने समाज के दुखी, पीड़ित, अपेक्षित और कमजोर घटकों को अपने हक के लिए लड़ना सिखाया। वह लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है। भाजपा की विचारधारा वाले लोग इस लड़ाई के खिलाफ हैं। भाजपा को दलितों के वोट चाहिए, लेकिन वह उसे पैसे और प्रलोभन के बदले में चाहते हैं। डॉ. आंबेडकर के वास्तु व स्मारक को हम पैसा देते हैं इस तरह का ढोल पीटकर वे वोट मांगते हैं और आंबेडकरवादी जनता के मन में फूट डालकर चुनाव जीतते हैं। आंबेडकर के पोते एडवोकेट प्रकाश आंबेडकर को भाजपा ने जेब में रखा है और कई दलित नेता स्वार्थ के लिए भाजपा के गुलाम बन गए हैं। यही वजह है कि अमित शाह महामानव डॉ. आंबेडकर का खुले तौर पर अपमान करने की हिम्मत कर सके हैं। आंबेडकर के अनुयाई रामदास आठवले फिर भी क्या केंद्र के मंत्री पद से चिपके रहेंगे? क्या एडवोकेट प्रकाश आंबेडकर भाजपा की सहूलियत की राजनीति करते रहेंगे? क्या मायावती ईडी, सीबीआई के डर से भाजपा के समर्थन में खड़ी रहेंगी? अब ऐसे कई सवाल लोगों के मन में हैं। महाराष्ट्र व देश में ऐसे ‘मनु’वादियों का शासन है, जिन्हें लगता है कि डॉक्टर आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन है। आंबेडकर के कई अनुयायियों ने मोदी-फडणवीस के राज्य के लिए छल किया। क्या वे अब समझदार बनेंगे? डॉ. आंबेडकर ने वंचितों, पीड़ितों की जिंदगी के नरक को खत्म कर उन्हें स्वर्ग दिखाया। आंबेडकर भगवान ही हैं। अमित शाह, क्या आप भगवान का अपमान कर रहे हैं?

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