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पूर्वांचल की हालत बदतर, मच्छरों का प्रकोप बढ़ा

जलवायु परिवर्तन से बढ़े संचारी रोग, डरा रहे आंकड़े
अभियान बेअसर, तीन साल से मलेरिया बेकाबू
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ
संचारी रोगों के नियंत्रण में यूपी की हालत चिंताजनक होती जा रही है। साल दर साल संचारी रोगों के आंकड़े बढ़ रहे हैं। मलेरिया व डेंगू सहित अन्य संचारी रोगों की स्थिति व समयकाल अनियंत्रित हो रहा है। यदि केवल मलेरिया के तीन साल का रिकाॅर्ड देखें तो स्थिति गंभीर है। सबसे ज्यादा तराई क्षेत्रों की हालत खराब है। हालांकि विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देख रहे हैं। अगर जलवायु परिवर्तन वाकई संचारी रोगों का पोषक है तो यह स्थिति बड़ी महामारी का भी रूप ले सकती है। कई जिलों में गत वर्षों की तुलना में इस साल मलेरिया के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। 2021-22 में मलेरिया के 7039 मरीज, 2022-23 में मलेरिया के 13603 मरीज समाने आये थे जबकि इस साल अप्रैल से अब तक 9627 मरीज सामने आये हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या तराई वाले जिलों की है। बदायूं, बरेली, हरदोई, सीतापुर, शाहजहांपुर, लखनऊ, लखीमपुर व पीलीभीत में मरीजों की संख्या चिंताजनक है।

संयुक्त निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. विकास सिंघल बताते हैं कि इस साल इस बीमारी के बढऩे का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। अगर ध्यान दें तो देखेंगे कि पहले बारिश और उसके बाद डेंगू बुखार होता था जबकि अब पूरे साल इसके मरीज सामने आते हैं। यह जलवायु परिवर्तन का ही हिस्सा है। मलेरिया की बात करें तो लगातार विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं। सभी सरकारी, निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं द्वारा चिन्हित मलेरिया रोगियों का विवरण रियल टाइम के आधार पर यूडीएसपी पोर्टल पर अंकित किया जा रहा है। जिन जनपदों के गांवों में 2023 में 1000 की आबादी में एक से ज्यादा मलेरिया के मरीज मिले हैं वहां सिंथेटिक पाइरोथ्रोइड्स का छिड़काव ( इंडोर रेसिडुअल स्प्रे) किया जा रहा है। यह डीडीटी के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली है। हरदोई, बरेली, बदायूं, सीतापुर, कानपुर देहात, संभल, शाहजहांपुर, पीलीभीत लखीमपुर और सोनभद्र में इसका छिड़काव किया जा रहा है।

मलेरिया के लक्षण की ऊपरी संकेत के अनुसार इसमें जाड़ा लगकर बुखार आता है। इसके साथ ही मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, उल्टी, थकान, जी मिचलाना और दस्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब लक्षण गम्भीर हो जाते हैं तो बेहोशी, आंखों का पीलापन या शरीर का पीला होना, रक्तस्राव, गहरे रंग की पेशाब होना या पेशाब में खून आना शुरू हो जाता है। मलेरिया का मच्छर रात में काटता है इसलिए सोते समय मच्छरदानी, मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें। घर में एवं घर के आस पास कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें।

इस साल छह माह में मलेरिया के कहां कितने मरीज
बदायूं में 2750, बरेली 1347, हरदोई 1333, सीतापुर 850, शाहजहांपुर 623, लखनऊ 543, लखीमपुर 485 व पीलीभीत 3627 मरीज अप्रैल से अब तक मिल चुके हैं।

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