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कंडक्टरों को नहीं मिली ट्रेनिंग … कैशलेस सिस्टम से क्लेश! …एसटी बसों में डिजिटल यात्रियों की कमी

मात्र २ प्रतिशत ने इस विकल्प को चुना
सामना संवाददाता / मुंबई
एसटी निगम ने यात्रा में आम लोगों को टिकट का भुगतान करने के लिए डिजिटल विकल्प प्रदान किया है। डिजिटल विकल्प चुनने के लिए यूपीआई के माध्यम से टिकटिंग सिस्टम चालू किया गया है। लेकिन कंडक्टरों को सिस्टम संभालने के लिए ट्रेनिंग नहीं मिलने की वजह से इस वैâशलेस सिस्टम से क्लेश हो रहा है। इसका असर एसटी में यात्रा के समय टिकट निकालते वक्त पड़ रहा है। एसटी बसों में पिछले तीन महीनों में केवल १,३८,३६४ यात्रियों ने डिजिटल टिकटिंग विकल्प का लाभ उठाया, वहीं प्रतिदिन औसतन ५५ लाख लोग एसटी बसों द्वारा यात्रा करते हैं।
एसटी निगम ने वैâश की बजाय यूपीआई, क्यूआर कोड, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके लेन-देन को पूरा करने के लिए दिसंबर महीने से `एंड्रॉयड टिकट इश्यू मशीन’ (ईटीआईएम) को सेवा में पेश किया। एंड्रॉयड ने यात्रियों के लिए भीम ऐप, फोन पे, गूगल पे और अन्य ऐप के जरिए टिकट खरीदने का विकल्प खोल दिया है। ईटीआईएम मशीन को नवंबर २०२३ में पायलट आधार पर लॉन्च किया गया था। नवंबर में एसटी में केवल २,३५७ यात्रियों ने डिजिटल टिकट के साथ यात्रा की। दिसंबर में डिजिटल यात्रियों ने ६६ हजार का आंकड़ा पार किया। इस साल जनवरी के पहले १८ दिनों में ६९,९२९ यात्रियों ने डिजिटल तरीके से टिकट खरीदे।
कंडक्टर कर रहे कैश की मांग
राज्य में प्रतिदिन औसतन ५५ लाख यात्री एसटी से यात्रा करते हैं। हालांकि, एसटी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि डिजिटल टिकट लेने वाले यात्रियों की संख्या ५ प्रतिशत भी नहीं है। `ईटीआईएम’ के साथ, वाहकों को वैâश संभालने की आवश्यकता नहीं होगी। मशीन से टिकट व राशि में हेराफेरी करना असंभव है। डिजिटल टिकटों को व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। एसटी में अधिकांश कंडक्टर एंड्रॉयड मशीनें ठीक से नहीं चला सकते हैं। यात्रियों की शिकायत है कि इस वजह से वाहक टिकट के लिए वैâश की मांग करते हैं।
ट्रेनिंग की जरूरत
एंड्रॉयड टिकट जारी करने वाली मशीन से संबंधित कोई प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण कंडक्टरों द्वारा यात्रियों को नकद राशि लेकर टिकट दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या रहती है। नेटवर्क नहीं होने की वजह से टिकट राशि के लिए स्कै नर कोड अक्सर उत्पन्न नहीं होता है। इसके कारण लेन-देन नकद में किया जाता है, ऐसा मुंबई और पुणे के बीच चलने वाली हिरकनी पैसेंजर बसों के कंडक्टरों का कहना है।

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