सामना संवाददाता / मुंबई
धारावी में पिछले कई वर्षों से रह रहे किसी भी निवासी को अपात्र न ठहराया जाए, यह ‘धारावी बचाओ आंदोलन’ की स्पष्ट और ठोस मांग है। लेकिन इसके विपरीत राज्य सरकार और अडानी की भूमिका नजर आ रही है। इसी मुद्दे को लेकर आगामी २० अप्रैल को धारावी में संघर्ष भड़कने की संभावना है। इसी दिन शाम को ‘धारावी बचाओ आंदोलन’ की ओर से शिवराज मैदान, क्रॉस रोड पर एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है।
धारावी के पुनर्विकास के नाम पर धारावीवासियों को बेदखल किया जा रहा है, इस अन्याय को लेकर लोगों में गुस्सा सुलग रहा है। इस पृष्ठभूमि में अडानी के खिलाफ जल्द ही मुंबई जिलाधिकारी कार्यालय के सामने एक बड़ा आंदोलन होने वाला है। उसी की पूर्व तैयारी के रूप में यह विशाल जनसभा आयोजित की जा रही है। इस जनसभा की तैयारी को लेकर सोमवार को ‘धारावी बचाओ आंदोलन’ के नेताओं और पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आदित्य जाधव, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विट्ठल पवार, एड. राजेंद्र कोरडे, उमेश कन्नाकुस, अब्दुल कलाम खान, जगन्नाथ भोसले, रहीम मोटारवाला, अबू खालिद, नसीरुद्दीन समेत राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) जैसे विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
नेताओं का कहना है कि अगर अब धारावीवासी संघर्ष नहीं करेंगे तो अडानी उनकी मांगें कभी नहीं मानेगा। इसलिए अब नहीं तो कभी नहीं, इस आक्रामक भूमिका के साथ धारावीवासियों को आगे आना होगा। इसके लिए अडानी के खिलाफ एक मजबूत और बड़ा संघर्ष खड़ा करना होगा, तभी मांगें मानी जाएंगी। २० अप्रैल की सभा में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति होनी चाहिए, इसके लिए पूरी तैयारी करने के निर्देश धारावी बचाओ आंदोलन के नेता बाबूराव माने ने बैठक में दिए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने इस सभा में बड़ी भीड़ जुटाने का संकल्प लिया। धारावी में ८० प्रतिशत झोपड़ियों का सर्वेक्षण हो चुका है। इस तरह का भ्रम अडानी कंपनी द्वारा पैâलाया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि धारावी में केवल १० से १५ प्रतिशत ही सर्वेक्षण हुआ है। इस सर्वेक्षण का लोगों ने तीव्र विरोध किया है, ऐसा गंभीर आरोप बाबूराव माने ने लगाया।