सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा-शिंदे सरकार को भय है कि वह पूरी तरह से हार रही है। इसलिए अब वे भ्रष्टाचार से कमाए गए धन के सहारे लोगों के वोट खरीदकर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा का असली चेहरा उजागर हो गया है। चुनाव आयोग को इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और विनोद तावडे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह की मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाना पटोले ने की है।
इस सदंर्भ में पटोले ने कहा कि विरार में इस तरह से पैसों का बांटना बेहद गंभीर है। इस मामले को दबाया जा सकता है। लेकिन चुनाव आयोग को बिना किसी के दबाव में आए निष्पक्ष, पारदर्शी और सख्त कार्रवाई करके यह दिखाना चाहिए कि कानून की निगाह में सभी बराबर हैं। विधानसभा चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराना चुनाव आयोग का कर्तव्य है। लेकिन पिछले महीने की घटनाओं को देखते हुए सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है। विपक्षी नेताओं के बैग की जांच करना, उन्हें विमान और हेलिकॉप्टर में उड़ने की इजाजत न देना, देरी करने जैसी बातें हुई हैं। शुरुआती शिकायतों के बाद सत्ताधारी नेताओं के बैग चेक होते दिखाए गए। १५ दिन पहले पुणे हाईवे पर खेड़ शिवपुर इलाके में एक गाड़ी में पांच करोड़ रुपए मिले थे। लेकिन पुलिस ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि ये पैसे किसके हैं। साथ ही यह भी साफ नहीं है कि इस मामले में आगे क्या हुआ। नासिक के एक होटल में बड़ी मात्रा में पैसे भी मिले थे, जिसका संबंध सत्ताधारी पार्टी से होने की बात भी सामने आई थी। पर पुलिस की कार्रवाई संतोषजनक नहीं थी। विपक्ष के बैग में तो कुछ नहीं मिला लेकिन ऐसे मामले सामने आए हैं जहां सत्ताधारी पार्टियों के बैग में पैसे मिले हैं। राज्य के पूर्व गृह मंत्री की गाड़ी पर पथराव किया गया और वे घायल हो गए। नाना पटोले ने ये भी कहा कि ये छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, फुले और आंबेडकर के महाराष्ट्र को शोभा नहीं देता। भाजपा-शिंदे युति की इस तरह से चुनाव जीतने की कोशिश को जनता जनार्दन बर्दाश्त नहीं करेगी।
‘भाजपा के पास है सिर्फ पैसों का विकल्प’
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी सदमे में है। इसलिए उन्होंने लाडली बहनों योजना शुरू की और महिलाओं को १,५०० रुपए दिए। लेकिन, यह चुनाव भी उनके हाथ में नहीं है। जो मुद्दे लोकसभा में थे वे आज भी हैं। इसलिए बीजेपी का एकमात्र कार्यक्रम पैसा बांटना है, यह बात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने मीडिया से बातचीत के दौरान कही। विरार पूर्व के विवांत होटल में बहुजन विकास आघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे का घेराव किया।
`बविआ’ ने आरोप लगाया कि विनोद तावडे ने पैसे बांटे। इस खबर से महाराष्ट्र में हाहाकार मच गया। इससे मजबूर होकर इस बार पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। इन सभी घटनाओं पर पृथ्वीराज चव्हाण ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि यहां तक कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी भाजपा उम्मीदवार को पैसे बांटते हुए पाया गया। दिल्ली से विनोद तावडे जैसे भाजपा के वरिष्ठ और राष्ट्रीय नेता ऐसे ही वहां आकर बैठे है। इसलिए इस चुनाव में बीजेपी के पास पैसे के अलावा कुछ नहीं बचा है। वे जनता की एक भी समस्या का समाधान नहीं कर पाए हैं। यह सरकार भारी भ्रष्टाचार के बल पर चल रही है। प्रशासन स्तर इतना नीचे कभी नहीं गिरा था।
पृथ्वीराज चव्हाण ने यह भी चेतावनी दी कि इसके लिए देश के नेताओं के साथ-साथ राज्य के नेता भी जिम्मेदार हैं। मूलत: एकनाथ शिंदे सरकार की स्थापना पाप से हुई थी। ५०-५० करोड़ विधायकों को देकर सरकार की स्थापना हुई और अब तो हर जगह लोग पैसे बांटते हुए पाए जाते हैं। अब उनके पास पैसे बांटने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है, पृथ्वीराज चव्हाण ने विश्वास जताया है कि महाराष्ट्र की जनता उन्हें इसका सटीक जवाब देगी।
खोके देकर विधायक खरीदे, पैसे देकर वोटर्स खरीदेंगे क्या? -सुप्रिया सुले का सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने सवाल पूछा है कि इसी सरकार ने नोटबंदी की थी, फिर विनोद तावडे के पास इतनी नकदी कैसे आई। विधायकों को भी खोके देकर खरीदा गया था, अब वोटर्स को पैसे देकर खरीदेंगे क्या? ऐसा सवाल भी सुले ने किया है।
सुप्रिया सुले ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में कहा कि इस देश में नैतिकता है या नहीं, अगर पैसे देकर चुनाव लड़ने हैं तो हम जैसे लोगों को क्या करना चाहिए। ५० खोके देकर विधायक खरीदे, पैसे देकर वोटर भी खरीदोगे क्या? इस देश में लोकतंत्र है कि नहीं, मैं सार्वजनिक रूप से इस कृति की निंदा करती हूं। इस मामले की जांच होनी चाहिए और अगर ये आरोप सही हैं तो तावडे को इस्तीफा दे देना चाहिए और उनका इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने यह गंदी राजनीति की है। सुले ने कहा कि चुनाव आयोग को आम नागरिकों को न्याय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी सरकार ने नोटबंदी की थी। तो इतने सारे नोट प्रचलन में कैसे आए? विनोद तावड़े पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, विश्वास नहीं होता है। मुझे बीजेपी के मूल नेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं थी। भाजपा के बारे में अधिक नहीं बोलूंगी, लेकिन मूल रूप से बीजेपी से जुड़े विनोद तावडे की ये हरकत बेहद असहज करने वाली है। केंद्र सरकार ने कालेधन को खत्म करने के लिए नोटबंदी की थी। यदि हां, तो ये पांच करोड़ रुपए नकद भाजपा के पास कैसे आए? बीजेपी विरार में पांच करोड़ रुपए कैश कैसे लेकर आई? सुले ने ये भी सवाल उठाए।