-जलयोद्धा पांडेय ने कहा कि विश्व में गहराते जल संकट के चलते आने वाले वक्त में पानी को लेकर हो सकता है तृतीय विश्व युद्ध
-कलबुर्गी के सेडम में 26 जनवरी से 6 फरवरी तक होने वाले भारत संस्कृति उत्सव 7 में आएंगे 30 लाख लोग- चंद्रशेखर धवलगी
सामना संवाददाता / मुंबई
विश्व भर में बिकने वाली वस्तुओं को बनाया जा सकता है, किंतु पानी बनाया नहीं जा सकता। ऐसे में देश के प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य होना चाहिए कि आज से ही हमें जल के दुरुपयोग को रोकते हुए जल संरक्षण के कार्य में जुट जाना चाहिए। उक्त आह्वान आज मुंबई प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान पद्मश्री उमाशंकर ने पांडे ने किया। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों बंगलुरु में पानी को लेकर त्राहि माम मचा रहा, लोग नहाने-धोने के लिए तरस रहे थे।
चार दशक से जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के चलते जल योद्धा के रूप में विख्यात पांडेय ने आगे बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक उत्तर प्रदेश के चित्रकूट मण्डल में पानी की बेहद भयावह तस्वीर लोगों के सामने थी। बांदा जिले का तो यह हाल था कि वहां पर ट्रेनों के जरिए लोगों को पीने का पानी पहुंचाया जाता रहा है। चूंकि मैं बांदा जिले के जखनी ग्राम निवासी हूं तो संकल्प लिया कि जनसहयोग के जरिए पानी की बूंदों तक बचाने का अभियान चलाते हुए जन आंदोलन के रूप में काम करना होगा। पुरखों की प्राचीन जल संरक्षण विधि खेत में मेड़-मेड़ पर पेड़ लगाने का काम शुरू किया गया, खाली भूमि पर वृक्षारोपण किया गया। धीरे-धीरे इस अभियान के चलते आज चित्रकूट मण्डल में बांदा जिले के किसानों से प्रदेश सरकार ने हजारों टन गेहूं-चावल खरीदा है, जो कि एक रिकॉर्ड है।
पद्मश्री ने चेताया कि आने वाले वक्त में तीसरा विश्व युद्ध किसी देश के भूभाग या धार्मिक, मत, मजहब, रिलीजन को लेकर नहीं अपितु पानी को लेकर होगा। ऐसे में अपनी आने वाली पीढ़ियों के सुखद भविष्य के लिए पानी की एक-एक बूंद को बचाना अति आवश्यक है।
आज दुनिया में 200 करोड़ लोगों के सामने पेयजल का संकट है। मनुष्य को प्रतिदिन 3 लीटर पानी पीने के लिए चाहिए। शुद्ध पानी न मिलने के कारण अकेले भारत में ही प्रतिदिन 1,000 बच्चों की मौत हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में जितने लोगों के पास मोबाइल है, उतने लीटर पानी उपलब्ध नहीं है।
पांडेय ने बताया कि पहली बार भारत में वर्ष 1959 में अमेरिकी सरकार की मदद से भूजल की खोज शुरू की गई। पहली राष्ट्रीय जल नीति 1987 में, दूसरी जल नीति 2002 में, तीसरी जल नीति 2012 में और चौथी जलनीति 2019 में बनी है। उन्होंने कहा कि पानी को लेकर सीरिया, जॉर्डन फिलिपिंस, सूडान और दक्षिण सूडान में युद्ध की स्थिति है।
भारत की बात करें तो जल समस्या का समाधान न होते देख केंद्र सरकार ने नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाकर काम कर रही है। भारत विकास संगम के कोषाध्यक्ष व भारत संस्कृति उत्सव 7 के आयोजन कर्नाटक राज्य प्रभारी चंद्रशेखर धवलगी ने बताया कि कर्नाटक राज्य कलबुर्गी के सेडाम में 26 जनवरी से लेकर 6 फरवरी तक 9 दिवसीय विशाल धार्मिक समागम होने जा रहा है, जिसने 30 लाख लोगों की आने की संभावना है। इसे हम एक तरह का कुंभ भी कह सकते हैं। इसमें बड़ी संख्या में धर्माचार्य, पीठाधीश्वर आएंगे।
भारत संस्कृति उत्सव 7 के संयोजक पूर्व राज्यसभा सदस्य बसवराज पाटिल (सेडम) और भारत विकास संगम के संस्थापक प्रसिद्ध विचारक के. एन. गोविंदाचार्य हैं। भारत संस्कृति उत्सव 7 के शुभारंभ में पूर्व उपराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत रत्न व पूर्व राज्यसभा सदस्य सचिन तेंदुलकर, पद्म विभूषण व राज्यसभा सदस्य व इंफोसिस फाउंडेशन की फाउंडर सुधा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एस सिद्धारमैया कैबिनेट मिनिस्टर प्रियांक खड़गे समेत देश-विदेश की प्रमुख हस्तियां शामिल होंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत में वर्ल्ड बैंक के पूर्व जल सलाहकार डॉ. ब्रजभूषण तिवारी, रबर वाटर डैम विशेषज्ञ डॉ. अशोक तिवारी सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश सेठ मंचस्थ रहे।