मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिसंविधान दिवस पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नासिक में श्रद्धांजलि और जागरूकता कार्यक्रम

संविधान दिवस पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नासिक में श्रद्धांजलि और जागरूकता कार्यक्रम

नासिक: सिद्ध पिंपरी स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर में 26 नवंबर 2024 को संविधान दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुंबई में 26 नवंबर 2008 को आतंकवादी हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. रंजय कुमार सिंह ने भारतीय संविधान के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान का निर्माण 8 महीने की गुलामी की दासता में ब्रिटिश सरकार के अधीन हुआ था, जबकि देश को स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को मिली। यदि संविधान का निर्माण आज़ादी के बाद हुआ होता, तो इसका स्वरूप कुछ और होता। यह संविधान देश का राष्ट्रीय ग्रंथ है, जिसे हर वर्ग, धर्म और संप्रदाय ने स्वीकार किया है।”

डॉ. सिंह ने आगे कहा, “डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस चिंतन और दृष्टिकोण के साथ संविधान को तैयार किया था, अगर उस पर सच्चाई से अमल किया गया होता, तो भारत पहले ही विश्व शक्ति बन चुका होता। संविधान को अंगीकार किए हुए 75 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन समय के साथ जो बदलाव अपेक्षित थे, वे अभी तक नहीं हुए हैं। यदि हमें सच में ‘विकसित भारत’ बनाना है, तो हमें संविधान की समीक्षा करनी होगी और उसे वास्तविकता में ढालना होगा।”

मुख्य अतिथि, एससी कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. वी. बी. कदम ने संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 2015 में भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने की थी, जो डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ संविधान के अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है। यह दिन हमारे देश की प्रगति और समावेशी समाज बनाने की प्रतिबद्धता को याद दिलाता है और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।”

कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में, परिसर के निदेशक प्रोफेसर श्री गोविंद पांडेय ने भारतीय संविधान की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है और यह हर भारतीय के लिए आवश्यक है कि वे संविधान के बारे में जानें और समझें।”

कार्यक्रम के अंत में एक क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा शास्त्री छात्र चंदर खंडेवाल ने प्रथम, प्रशांत कुमार झा ने द्वितीय और रोशन सिल्के बालके ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार शिक्षा शास्त्री छात्र विलास राव और प्रतीक दवे को दिया गया।

संविधान दिवस कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. दीपांविता दास, डॉ. लक्ष्मेंद्र और डॉ. जी. सागर रेड्डी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन शैक्षणिक सलाहकार मगेश इंदपवार ने किया, जबकि मंच संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शैलेष पवार ने किया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे, जिन्होंने भारतीय संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः व्यक्त किया।

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