सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा ने मंगलवार को बजट पेश कर डिसेलीनेशन प्रोजेक्ट (समुद्री पानी को मीठे पानी में बदलना) के लिए १०० करोड़ रुपए आंवटित तो कर दिए है, लेकिन यह प्रोजेक्ट फिर से ठंडे बस्ते में न चला जाए, ऐसा मनपा को डर सता रहा है। डर का कारण है कि पहले भी कंपनियों ने मनपा के इस प्लान को ठेंगा दिखा दिया है।
दरअसल, मनपा ने इस प्रोजेक्ट के लिए दिसंबर २०२३ में टेंडर जारी किया था, लेकिन कई बार डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद किसी भी कंपनी ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने की इच्छा नही जताई थी। २९ अगस्त २०२४ को समाप्त हुई अंतिम समय-सीमा तक केवल एक ही कंपनी ने बोली लगाई, जिसके बाद मनपा ने इस प्रक्रिया को रद्द कर गारगई डैम प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करने का पैâसला किया था। मनपा की उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद भी डिसेलीनेशन प्रोजेक्ट के लिए इस बजट में मनपा ने १०० करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं। सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले समय में मनपा अपनी शर्तों में संशोधन करने के लिए तैयार होती है या नहीं। मनपा सूत्रों की मानें तो कड़ी शर्तों की वजह से कोई कंपनी डिसेलीनेशन प्रोजेक्ट के लिए तैयार नही हो रही है।
मुंबई में पेयजल की बढ़ती मांग
मनपा के मुताबिक, वर्ष २०४१ तक मुंबई की जनसंख्या दो करोड़ के करीब पहुंच सकती है, जिससे शहर की दैनिक जल मांग ६,४२६ एमएलडी तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में मुंबई को तुलसी, मोदकसागर, भातसा, तानसा, विहार, अप्पर वैतरणा और मिडिल वैतरणा डैम से पानी मिलता है, लेकिन पिछले १२ वर्षों से कोई नया डैम नहीं बना है।
कब तक पूरा
होगा प्रोजेक्ट?
अब जब मनपा ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की ठानी है, तो देखना होगा कि क्या इस बार इच्छुक कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी और यह प्रोजेक्ट कब तक पूरा किया जाएगा।