मुख्यपृष्ठनए समाचारयेरवडा मेंटल अस्पताल में भ्रष्टाचार! ... मरीजों को भी किया जा रहा प्रताड़ित

येरवडा मेंटल अस्पताल में भ्रष्टाचार! … मरीजों को भी किया जा रहा प्रताड़ित

– सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
सामना संवाददाता / मुंबई
सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस साल जनवरी में गठित पांच सदस्यीय समिति की जांच में पुणे स्थित प्रादेशिक मानसिक अस्पताल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताएं, मानवाधिकारों का उल्लंघन और मरीजों की उपेक्षा किए जाने की चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है। इसमें पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील पाटील पर अनधिकृत खरीद, अधिक भुगतान और वित्तीय नियमों का उल्लंघन करके फंड का दुरुपयोग करने का आरोप समिति की रिपोर्ट में किया गया है।
समिति ने तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, कार्यालय अधीक्षक और लिपिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और दुरुपयोग किए गए फंड की वसूली करने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाटील ने नशामुक्ति केंद्र के लिए पानी गर्म करनेवाली प्रणाली, जूट के कपड़े, छोटे सामान के साथ ही उपकरण खरीदते समय उद्योग विभाग के सरकारी प्रस्तावों की शर्तों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके सरकारी फंड का दुरुपयोग किया। यह रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजी गई है। इस समिति की अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाओं के सहायक निदेशक डॉ. प्रशांत वाडीकर ने की और इसमें आरएमएच के उपाधीक्षक डॉ. श्रीनिवास कोलोद समेत तीन अन्य अधिकारी शामिल थे। जांच रिपोर्ट के अनुसार, आरएमएच के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के रूप में कार्य करते हुए डॉ. पाटील ने मरीजों के अधिकारों और कल्याण की परवाह किए बिना अपने स्वार्थ के लिए सभी निर्णय लिए। उनकी कार्रवाइयों के कारण समिति ने यह निष्कर्ष निकाला कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम २०१७ और मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
रु.१.२४ करोड़ के फंड का दुरुपयोग
समिति ने स्वास्थ्य सेवा उपनिदेशक डॉ. राधाकृष्ण पवार को सौंपी। इस रिपोर्ट में पाया गया कि सरकारी फंड में १.२४ करोड़ रुपए से अधिक राशि का दुरुपयोग किया गया है।

पिछले साल १८ मरीजों की हुई मौत
२०१७ से २०२४ तक के लेनदेन को शामिल करते हुए इस जांच में खराब प्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण अस्पताल की आवश्यक सेवाएं वैâसे खतरे में पड़ गर्इं, यह स्पष्ट हो गया है। मरीजों को उचित स्वच्छता, अपर्याप्त भोजन और निजी पुनर्वास केंद्रों में अनधिकृत स्थानांतरण का सामना करना पड़ा। दिसंबर २०२३ से दिसंबर २०२४ के बीच १८ मरीजों की मौत हो गई। मरीजों को गंदगी में रहने, ठंडे पानी से नहाने और निम्न गुणवत्ता वाला भोजन खाने के लिए मजबूर करना मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम २०१७ का उल्लंघन है।

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