सामना संवाददाता / मुंबई
दुनिया में न्यूक्लियर वॉर का खतरा तो काफी पहले से था पर अब लगता है इसका काउंटडाउन शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस-यूक्रेन का युद्ध जल्द खत्म नहीं हुआ तो फिर यह परमाणु युद्ध में तब्दील होसकता है। इसकी वजह है गत दिनों रूस का इंटर कंटिनेंटल बैलिस्टक मिसाइल का इस्तेमाल। अभी तक इस मिसाइल का टेस्ट आदि तो कई देशों ने किया है, पर युद्ध में इसका पहली बार इस्तेमाल हुआ है। ५ हजार से ज्यादा की रेंज वाली मिसाइल को आईसीबीएम कहा जाता है।
दिनिप्रो पर दागे थे आईसीबीएम
रूस ने यूक्रेन के दिनीप्रो शहर पर सुबह ५ से ७ बजे के बीच आईसीबीएम मिसाइलों से कई हमले किए थे। इसके लिए रूस ने ‘आरएस २६ रुबेझ’ मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। ये मिसाइल न्यूक्लियर बम गिराने में सक्षम हैं।
यूक्रेनी वायुसेना ने की पुष्टि
रूस द्वारा दागे गए आईसीबीएम मिसाइल की यूक्रेनी वायुसेना ने पुष्टि की है। इस मिसाइल के अलावा किंझल हापरसोनिक और केएच-१०१ क्रूज मिसाइलों से भी हमला किया गया। इस हमले में गैर-परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।
यूरोप-अमेरिका को रूस की चेतावनी
बीच में कूदे तो फूटेगा परमाणु बम!
रूस ने अमेरिका और यूरोप को कई बार चेतावनी दी है कि वह यूक्रेन को सपोर्ट न करे और उसे हथियार न दे। इसके साथ ही उसने साफ कह दिया है कि अगर वे इस युद्ध के बीच में कूदे तो फिर रूस चुप नहीं बैठेगा और वह परमाणु बम का इस्तेमाल करेगा। गत दिनों रूस ने यूक्रेन पर जो आईसीबीएम दागी थी, वह इसी का ट्रेलर था। हालांकि, उसमें न्यूक्लियर वॉर हेड नहीं थे, पर अगली बार रूस चुप नहीं बैठेगा।
जानकारों का मानना है कि रूस ने दरअसल पूरी दुनिया को सिर्फ अपनी तकनीक दिखाने के लिए ये मिसाइलें दागी थीं। ये मिसाइलें आईएमआरवी तकनीक से लैस थीं। यह एक साथ चार टारगेट को हिट करती है। भारत के पास भी अग्नी-५ में इसी तकनीक का प्रयोग किया गया है।
एमआईआरवी तकनीक से लैस
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रूसी आईसीबीएम का वजन ३६ हजार किलोग्राम है। इसमें एक साथ १५०/३०० किलोटन के ४ हथियार लगाए जा सकते हैं। यानी ये मिसाइल एमआईआरवी तकनीक से लैस हैं। यह मिसाइल हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल को ले जाने में भी सक्षम है। यानी हमला और भी तगड़ा हो सकता है। इस मिसाइल की रेंज करीब ६००० किलोमीटर है। हालांकि, रूस ने १,४०० किलोमीटर दूर के टारगेट पर इससे प्रहार किया था।