देश अंधेरे में

देश ढूंढ़ते हुए जैसे ही हमने नजर दौड़ाया ।
उसने कहा देश अंधेरे में है
मैं भटका थोड़ा अटका
भीतर से आवाज आई
चाहे तो इतिहास दोहराओ
अथवा लिख दो एक नया अध्याय
उजाले का।
जिसमें प्रकाश रोशनी और चमत्कार भी हो
खुशहाली का हमने भविश्य की ओर देखा
और कहा जन जागरण
बहुत जोर से शायद चिल्लाकर।।
-अन्वेषी

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