सामना संवाददाता / मुंबई
यदुवंशियों और गाय के बीच गहरा संबंध है, क्योंकि यदुवंश, जिसमें भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, गौपालन से जुड़े थे और गाय को पूजनीय मानते थे। इसीलिए तो भारतवर्ष से लेकर समूची दुनिया में उन्हें गोपालक और ग्वाला के रूप में जाना जाने लगा। यदुवंशियों ने गौपालन के साथ-साथ उनका सम्मान और संरक्षण भी किया। उनके जीवन में गाय का महत्वपूर्ण स्थान है। पूर्वांचल विकास परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. द्रिगेश यादव ने गौमाता को लेकर चल रहे राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप को राजनीति का निम्न स्तर बताते हुए उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि गाय को पवित्र माना जाता रहा है और यदुवंशियों ने हमेशा गाय की पूजा की है। भगवान कृष्ण, जो यदुवंश से थे, गायों के साथ अपने संबंध के लिए जाने जाते थे और उन्हें ग्वाल (गोपाल) के रूप में भी जाना जाता है। यदुवंशियों की पहचान गाय के साथ उनके संबंध से भी होती है और वे गाय को अपना प्रतीक मानते हैं। उन्होंने कहा कि गाय और यदुवंशी एक दूसरे के पूरक हैं। कुछ लोग दुर्भाग्य से यदुवंशियों को गौमाता का अपमान करने वाले बता रहे हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।