एम एम एस
`बधाई हो शरीफ तुम लौट आए तुम्हें पता नहीं मुझे कितनी खुशी हुई है तुम्हें देखकर…’ अनस ने फोन पर कहा।
`अनस आज मैं बहुत खुश हूं मैं तुम्हें खुशखबरी देना चाहता हूं’, शरीफ ने कहा
`खुशखबरी तो मैं भी तुम्हें देना चाहता हूं, क्यों न आज पार्टी हो जाए रात १० बजे अपने अड्डे पर आ जाओ’
दोनों तरफ से फोन डिस्कनेक्ट हो गया।
अनस ने फोन रखा तो मुस्कान उसके गले लग गई। `अनस हम दोनों को हमेशा साथ रहना है। शरीफ इस बात से बहुत नाराज होगा, उसे मैं किस मुंह से बताऊंगी कि उसकी मुस्कान अब उसकी नहीं रही…’ मुस्कान ने कहा।
`मुस्कान अब तो मेरी हो, तुम्हें परेशान होने की कतई जरूरत नहीं…मुझे पता है कि मुझे क्या करना है’, अनस ने कहा।
शाम ढलने को थी। अनस अपने अड्डे पर पहुंच गया था। मुस्कान अकेले परेशान हो रही थी। उसे बार-बार शरीफ का फोन आ रहा था। वह उसे बार-बार काटे जा रही थी। अचानक उसे महसूस हुआ कि कोई उसका दरवाजा जोर-जोर से पीट रहा है। वह घबरा गई। उसके माथे पर पसीना साफ दिखाई दे रहा था। उसने कांपते हाथों से दरवाजा खोला। दरवाजे को जोर से धक्का देते हुए एक शख्स भीतर घुसा। उसने एक जोर का तमाचा मुस्कान के गाल पर जड़ दिया। मुस्कान चारपाई पर गिर गई।
`आखिर क्या बात है, तुमने आजकल मेरे फोन का जवाब देना बंद कर दिया है। एक वक्त ऐसा भी था, जब तुम पल भर भी चैन नहीं पाती थी। मैं तुम्हारे लगातार फोन से परेशान हो जाता था। और अब मैं बाहर क्या गया…तुमने मेरा फोन उठाना तक बंद कर दिया। यहां तक कि तुम मेरे मैसेज का जवाब तक नहीं देती, आखिर क्या बात है?’ उसने जोर से डांटते हुए सवाल ही नहीं किया, बल्कि तमाचा भी जड़ दिया।
मुस्कान सकते में थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें। कुछ घंटे पहले यही मुस्कान अनस से लिपटकर अपने प्यार का इजहार कर रही थी। और अब मानो उसकी आंखों के सामने सितारे नाच रहे थे।
उसे शख्स ने फिर चिल्लाते हुए कहा, `मुस्कान मेरी बातों का जवाब दो, वरना मैं तुम्हें खत्म कर दूंगा…!’
उस शख्स की आंखें लाल हो गई थीं। चेहरा तमतमा गया था, मुस्कान डर गई थी। उसे पता था कि यह शख्स किस हद तक जा सकता था। कुछ दिन पहले जेल से छूटे हुए इस शख्स पर कत्ल करने और साजिश रचने के अलावा कई छोटे-मोटे मामले दर्ज थे।
मुस्कान ने अपना मोबाइल उठाया और जोर से पटक दिया। मोबाइल के परखच्चे उड़ गए।
`यही है असली वजह… जिसे मैंने आज खत्म कर दिया। इसी मोबाइल की वजह से मैं तुम्हारे कॉल नहीं उठा पा रही हूं…मोबाइल खराब हो गया…अपने आप बंद हो जाता है…अचानक बंद पड़ जाता है…अब क्या करना चाहते हो मार डालो मुझे…`कहते हुए उसने उस शख्स के दोनों हाथ पकड़ लिए और अपने गर्दन पर ले जाकर दबाव बनाने लगी और कहने लगी, `आज तुम मेरा गला दबा दो…मुझे मार डालो… मुझे खत्म कर दो, सब मामला ही खत्म हो जाएगा…मैं भी निजात पा लूंगी…’
उससे शख्स ने झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया। अचानक उसकी आवाज बेहद नरम पड़ गई। `नहीं- नहीं मैं तुम्हें नहीं मार सकता, मुस्कान तुम तो मेरी जान हो…!’ कहते हुए उसने अपने दोनों हाथों को दीवार पर जोर-जोर से मारना शुरू कर दिया!’
(जारी…)
‘…अब क्या करना चाहते हो मार डालो मुझे…’ कहते हुए उसने उस शख्स के दोनों हाथ पकड़ लिए और अपनी गर्दन पर ले जाकर दबाव बनाने लगी और कहने लगी, ‘आज तुम मेरा गला दबा दो… मुझे मार डालो… मुझे खत्म कर दो, सब मामला ही खत्म हो जाएगा… मैं भी निजात पा लूंगी…’
उस शख्स ने झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया। अचानक उसकी आवाज बेहद नरम पड़ गई। ‘नहीं नहीं मैं तुम्हें नहीं मार सकता मुस्कान तो मेरी जान हो…!’ कहते हुए उसने अपने दोनों हाथों को दीवार पर जोर-जोर से मारना शुरू कर दिया! ‘मैं कितना गिरा हुआ हूं वाकई में एक अपराधी हूं मैंने तुम पर क्यों शक किया मुझे माफ कर दो मुस्कान मुझे माफ कर दो…’ ऐसा कहते हुए उसने मुस्कान को गले से लगा लिया!
मुस्कान के होठों पर जहरीली मुस्कान थी। उसने उसे और जोर से भींचते कहा, ‘तुम भी मेरी जान हो… तुम्हारे बिना मैं नहीं रह सकती…’
‘चल तैयार हो जा मैं तेरे लिए नया मोबाइल खरीद लेता हूं…’ उसे शख्स ने कहा।
‘नहीं इस वक्त मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकती अब्बू आ रहे होंगे। और अब तुम आ ही गए हो तो मुझे नए मोबाइल की क्या जरूरत…!’ मुस्कान ने अपने आप को उसकी बाहों से अलग करते हुए कहा।
‘नहीं ऐसे वैâसे हो सकता है उसे मोबाइल की वजह से तुम्हारे मेरे बीच में दूरियां बढ़ी न जाने क्यों मेरे मन में उलटे-सुलटे विचार आ रहे थे तुम रुको मैं कुछ भी समय में नया फोन लाकर देता हूं बिल्कुल नया बिल्कुल महंगा…’ कहते हुए और शख्स निकल गया।
मुस्कान की जान में जान आई। उसके जाने के बाद उसने अपना चेहरा धोया। उसने आईने में खुद को देखा। उसके गाल पर तमाचे के हल्के निशान बने हुए थे। ‘शुक्र है हल्के हैं किसी को दिखाई नहीं देंगे।’
उसने बुदबुदाते हुए कहा। ‘वरना वह अनस को क्या जवाब देती? …कुछ नहीं, कह दूंगी अब्बू ने गुस्से में थप्पड़ मार दिया।’
‘लेकिन इस शख्स से भी छुटकारा पाना बहुत जरूरी है…’ उसने खुद से कहा।
उस शख्स के निकल जाने के बाद कमरे में एक प्रकार का सन्नाटा छाया हुआ था। सन्नाटे को भंग किया मोबाइल की रिंग ने। बजट से भीतर के कमरे में दौड़कर गई। उसने तुरंत फोन उठाया और रिंग बंद कर दिया। उसकी सांस अटक गई थी। एक बार फिर उसके माथे पर पसीना चमकने लगा था। उसके मुंह से निकला, ‘अल्लाह तेरा लाख-लाख शुक्र… अच्छा हुआ है फोन उस वक्त नहीं बजा जब वह कमीना सामने था!’
वह दौड़कर बाहर के कमरे में आई। दरवाजा खोलकर उसने बाहर जाकर झांका। दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दिया। उसने राहतभरी सांस ली। बाहर के कमरे का दरवाजा बंद किया फिर दूसरे कमरे के भीतर घुसी, वहां का भी दरवाजा उसने बंद कर दिया। फोन फिर से बज उठा। उसने तुरंत फोन उठाया। ‘क्या बात है मुस्कान आज फोन उठाने में बड़ी देर लगा दी, क्या ख्वाब देख रही हो’ रोमांटिक आवाज आई। यह आवाज थी अनस की।
‘ख्वाब क्या खाक देखूं मैं… वह आया था कमीना… तुम्हारा दोस्त… झगड़ने लगा पूछ रहा था आखिर मैंने उसका फोन क्यों नहीं उठाया?
(जारी)