सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले साल की तुलना में इस साल महिलाओं के प्रति आपराधिक घटनाओं में ७.७ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन डिटेक्शन दर में सुधार देखने को मिला है। यह दर पिछले साल से करीब ढाई फीसदी अधिक है। २०२४ में जनवरी से नवंबर के बीच दर्ज मुंबई में अपराध के आंकड़ों के मुताबिक, कुल ५,८२७ अपराध दर्ज किए गए, जबकि २०२३ में यह संख्या ५,४१० थी। इसके बावजूद डिटेक्शन की दर में सुधार हुआ है।
२०२४ में ९२.२ प्रतिशत मामलों का निपटारा हुआ, जबकि २०२३ में यह दर ९०.८ प्रतिशत थी। वहीं २०२४ में हर महीने औसतन ५३० अपराध दर्ज हुए हैं, जबकि २०२३ में यह संख्या ४९२ थी। मुंबई पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, २०२४ में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के २०१ मामले , जबकि २०२३ में १७९ मामले औसतन हर महीने दर्ज किए गए। वहीं, २०२४ में महिलाओं के साथ प्रताड़ना की घटनाओं में प्रति माह ३५, जबकि २०२३ में १४ केस दर्ज किए गए। २०२४ में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले प्रतिमाह ५१, जबकि २०२३ में ४८ केस दर्ज किए गए। वहीं, २०२४ में बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में प्रति माह औसतन ३६ और २०२३ में ३२ केस दर्ज हुए। २०२४ में अपहरण की घटनाओं का मासिक औसत १०२ और २०२३ में ९७ था। दहेज के कारण होने वाले अपराध में २२.६ फीसदी की कमी देखी गई। इसका मासिक औसत २०२४ में २ और २०२३ में ३ रहा। पॉक्सो के मामले में २०२४ में प्रति माह औसतन ११२ और २०२३ में ९१ केस दर्ज किए गए।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि २०२४ में अपराधों में वृद्धि होना चिंताजनक है, लेकिन डिटेक्शन की बढ़ी दर से स्पष्ट है कि पिछले साल की अपेक्षा कानून-व्यवस्था बेहतर हुई है। हालांकि, इसको और मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता अभियान के साथ-साथ सख्त कानूनों की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर २०२४ में पॉक्सो ऐक्ट के १,२३३ में से १,१७५ मामलों का समाधान किया गया था, जबकि २०२३ में दर्ज पॉक्सो के १,००५ केसों में से ९७९ मामलों का ही निपटारा हुआ था।