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‘ईडी’ सरकार के राज में शिक्षा पर संकट … तीन साल में १,३४९ स्कूल हुए बंद!

-८.२० लाख छात्रों ने कटवाए नाम
– १०,१७७ स्कूलों में अभी भी बिजली नहीं

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
लगता है महायुति सरकार को बच्चों की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है। इस पथभ्रष्ट सरकार के शासन में महाराष्ट्र शिक्षा से दूर भाग रहा है। प्राप्त आंकड़े बता रहे हैं कि तीन सालों में राज्य में न केवल १,३४९ स्कूल बंद हो चुके हैं, बल्कि बंद हुए सरकारी स्कूलों से करीब ८.२० लाख छात्र शिक्षा से दूर हो गए हैं। दूसरी तरफ सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आज भी १०,१७७ स्कूलों में बिजली नहीं पहुंच पाई है, जिसमें ५,८५१ प्राइमरी स्कूलों का समावेश है। साथ ही १०,३९७ प्राइमरी स्कूलों में पेयजल का प्रबंध तक नहीं है। इसी तरह कंप्यूटर की पहुंच से ३०,५२८ स्कूल दूर हैं। इस वजह से इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का हाल बेहाल है, जो महायुति सरकार की खामियों को उजागर कर रहा है।

महायुति सरकार राज में
गिरा शिक्षा का ग्राफ!

महायुति सरकार के राज में राज्य में शिक्षा का ग्राफ तेजी से गिरा है। शिक्षा नगरी कहे जाने वाले पुणे में भी शिक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है। कुछ महीने पहले सामने आई वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट में बताया गया कि महाराष्ट्र के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को संख्यात्मक भाग नहीं आता है।
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष २०२१-२२ में जहां प्राइमरी स्कूलों की संख्या १,०५,८४८ थी, वहीं २०२२-२३ में १,०६७ स्कूल कम हो गए। इसी तरह २०२२-२३ की तुलना में २०२३-२४ में और २८२ स्कूलों की संख्या कम हो गई और अब १ लाख ४ हजार ४९९ रह गई है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, प्राथमिक से उच्च प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या २०२१-२२ में जहां १ करोड़ ५४ लाख २० हजार थी, वह वर्ष २०२३-२४ में ८ लाख २० हजार से घटकर एक करोड़ ४६ लाख पर पहुंच गई है। इसमें माध्यमिक व उच्च मध्यमिक छात्रों की संख्या ५,३५,०८० है। लाखों में छात्रों की संख्या कम होने के कारणों का पता नहीं चल सका है।
५५.२२ फीसदी पद रिक्त
स्कूल शिक्षा विभाग के श्रेणी ‘अ’ से ‘ड’ तक कुल मंजूर ८,११३ पदों में से केवल ४४.७८ फीसदी यानी ३,६३३ पदों को ही भरा गया है। शेष ५५.२२ फीसदी यानी ४,४८० पद आज भी रिक्त पड़े हुए हैं।

सुविधाओं की कमी
वर्ष २०२३-२४ में राज्य के २९,०५० स्कूलों में अभी तक कंप्यूटर सुविधा नहीं पहुंची है। ४,३८८ प्राइमरी और ३७७ माध्यमिक व उच्च मध्यमिक स्कूलों में शौचालय का प्रबंध नहीं है।

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