-आतंकियों को बिरयानी खिला सकते हो तो संत को चिकित्सा सुविधा क्यों नहीं ?
अशोक तिवारी / मुंबई
जोधपुर जेल में बंद संत आसाराम बापू के समर्थन में उनके हजारों भक्तों ने आजाद मैदान में प्रदर्शन कर अपना विरोध प्रकट किया। इस प्रदर्शन के दौरान आक्रोशित भक्तों ने सरकार पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि जब सरकार आतंकियों को बिरयानी खिला सकती है तो एक संत को चिकित्सा व्यवस्था क्यों नहीं दे सकती, क्या सरकार संविधान की समानता के अधिकार को भूल गई है?
जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अन्य कैदियों की भांति ही आसाराम बापू को भी बीमारी से इलाज के लिए पैरोल दी जानी चाहिए। सनातनी हिंदू सिंधी और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित प्रदर्शन आसाराम बापू आश्रम की राष्ट्रीय प्रवक्ता नीलम दुबे ने कहा कि वर्ष 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कैदी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए। व्यक्ति का सेहत ठीक रहे यह सबसे जरूरी है। उसकी सेहत से संबंधित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे और न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए। उसके बाद भी संत आसाराम बापू को पैरोल एक बार भी नहीं दी गई। कोरोनाकाल के दौरान भी संत आसाराम बापू को कोरोना हुआ था, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल के दौरान बुजुर्ग कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था।
अब उनको हृदयरोग, पौरुष ग्रंधि की वृद्धि, संधिवात एवं रक्ताल्पता आदि नयी बीमारियों ने भी घेर लिया है। इसके अलावा उनके हृदय में 3 गम्भीर (99%, 90% और 75%) ब्लॉकेज हैं। बापूजी को लगातार रक्तस्राव हो रहा है, जिसकी वजह से उनके हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आश्रम से जुड़े विशाल गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र के गृह विभाग के उप सचिव जहांगीर खान में आश्वासन दिया है कि वे भक्तों की मांगें केंद्र सरकार सरकार और संबंधित विभाग तक पहुंचाएंगे।