भारतीय रेलवे को देश की जीवन रेखा माना जाता है, जो कि आज बेतहाशा भीड़ के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। भारतीय रेलवे हर दिन लाखों यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करती है, लेकिन बढ़ती भीड़, प्रबंधन और असुरक्षित माहौल ने रेल यात्रा को एक जोखिम भरा सफर बना दिया है। यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन ट्रेनों की उपलब्धता और बुनियादी ढांचे का विकास उस गति से नहीं हो पा रहा है, जिससे प्लेटफॉर्मों और ट्रेनों में असहनीय भीड़ जमा हो जाती है। हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ जैसी घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था भीड़ को नियंत्रित करने में असमर्थ साबित हो रही है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में निर्दोष यात्रियों की जान चली गई, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? क्या हर यात्री को अपनी जान हथेली पर रखकर सफर करना होगा?
यात्रा के दौरान ना तो यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त रेलवे पुलिस मौजूद होती है और ना ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस प्रबंधन। प्लेटफॉर्मों पर अव्यवस्थित प्रवेश और निकास द्वार, अनियंत्रित भीड़, ट्रेनों में सीमित जगह और टिकटिंग प्रणाली में खामियों के कारण यात्रियों को हर समय असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। कई बार ट्रेन पकड़ने की होड़ में यात्री चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन इस ओर ध्यान देने में असफल रहा है।
सिर्फ भारतीय रेलवे ही नहीं, बल्कि दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा भी सवालों के घेरे में है। गत दिनों दिल्ली मेट्रो मे शब्बे बरात की रात में जो हुड़दंग देखने को मिला वो मेट्रो की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ाकरता है। सवाल यह उठता है कि कोई यात्री बिना टिकट और बिना किसी जांच के मेट्रो में प्रवेश कैसे कर सकता है? यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि यदि असामाजिक तत्व इस तरह सुरक्षा में सेंध लगा सकते हैं, तो मेट्रो यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हाल ही में दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं, विशेषकर जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन पर हुई इस तरह के हुडदंग की घटना के बाद। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुआ, जिससे सुरक्षा और व्यवस्था पर चिंताएं बढ़ीं दिल्ली मेट्रो में सुरक्षा उल्लंघन की घटनाएं पहले भी सामने आई हैं, जो सुरक्षा में गंभीर चूक को दर्शाता है।
दिल्ली मेट्रो, जिसे देश की सबसे सुरक्षित और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन सेवा माना जाता है, उसकी सुरक्षा अब सवालों के घेरे में है। शबे बरात की रात जो हुड़दंग हुआ, उसने न केवल मेट्रो की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी, बल्कि यात्रियों के मन में गहरी चिंता भी पैदा कर दी। सवाल उठता है कि अगर हुड़दंग करने वाले इतनी आसानी से मेट्रो के भीतर घुस सकते हैं, तो क्या कोई भी असामाजिक तत्व इसी तरह सुरक्षा में सेंध लगा सकता है? क्या मेट्रो प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां सिर्फ नाम के लिए मौजूद हैं?
दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के पास है। हर स्टेशन पर हाई-टेक सीसीटीवी कैमरे, स्कैनर और सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं, लेकिन फिर भी हुड़दंगियों ने पूरे मेट्रो स्टेशन को अपने कब्जे में ले लिया। कैसे? किसकी लापरवाही से? कौन जिम्मेदार है? यह घटना यह साबित करती है कि मेट्रो की सुरक्षा सिर्फ कागजों पर मजबूत है, लेकिन असलियत में यह एक छलावा है। 13 फरवरी की देर रात जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन पर जो कुछ हुआ, वह किसी भी यात्री के लिए भयावह था। हुड़दंगियों ने स्टेशन पर कब्जा कर लिया, यात्री असहाय नजर आए और सुरक्षा बल कहीं नजर ही नहीं आए! अगर यही स्थिति रही तो मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों को कब तक असुरक्षित महसूस करना पड़ेगा? यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटनाएं हुई हैं। हर साल इन मौकों पर कुछ असामाजिक तत्व सड़कों पर उत्पात मचाते हैं। लेकिन अब मेट्रो जैसी संवेदनशील जगह भी इनकी गिरफ्त में आने लगी है। अगर आज हम नहीं चेते, तो कल को यह लापरवाही एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है। सोचिए, अगर इसी तरह कोई आतंकवादी या संगठित अपराधी मेट्रो की सुरक्षा भेदकर भीतर घुस जाता है, तो क्या हम इसके लिए तैयार हैं?
दिल्ली मेट्रो करोड़ों लोगों का भरोसा है, लेकिन जब सुरक्षा की धज्जियां उड़ती नजर आती हैं, तो यह भरोसा कमजोर पड़ जाता है। सरकार, सीआईएसएफ और दिल्ली मेट्रो प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे और सुरक्षा को हाई-टेक और सतर्क बनाना होगा–हर स्टेशन पर सुरक्षा जांच और कड़ी होनी चाहिए। हुड़दंग करने वाले अगर बिना टिकट मेट्रो में घुसे थे, तो यह सिस्टम की सबसे बड़ी विफलता है। दिल्ली मेट्रो में हुई यह घटना एक चेतावनी है। अगर अब भी सही कदम नहीं उठाए गए, तो आगे स्थिति और बिगड़ सकती है। यह सिर्फ दिल्ली मेट्रो और भारतीय रेल की बात नहीं, बल्कि पूरे देश की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की विश्वसनीयता का सवाल है। अगर अब भी सही कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में यह लापरवाही एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है। यात्रियों की सुरक्षा सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए, अन्यथा रेलवे और मेट्रो में सफर करना यात्रियों के लिए और भी अधिक खतरनाक हो सकता है।
-मुनीष भाटिया
5376 ऐरो सिटी, मोहाली